उद्धव ठाकरे ही नहीं पिता बालासाहेब ने भी मौका देखकर दिया था कांग्रेस का साथ
बालासाहेब के इस फैसले ने हर किसी को चौंका दिया था साथ ही यह भी दिखा दिया था कि राजनीति में कोई किसी का दुश्मन नहीं होता है.
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र में 18 दिनों के सियासी उठापटक के बाद आखिरकार शिवसेना को सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस का बाहर से समर्थन मिलने की खबरें आ रही हैं अगर ऐसा हो गया तो शिवसेना कांग्रेस के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बना लेगी. यहां शिवसेना और कांग्रेस विचारों को लेकर एक दूसरे के बिलकुल उलट हैं. अगर शिवसेना कांग्रेस के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बना लेती है तो इसमें कोई अचंभे की बात नहीं होगी. आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं होगा जब शिवसेना को कांग्रेस का साथ मिला हो. इसके पहले भी बालासाहेब ठाकरे ने साल 1975 में इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी को समर्थन दिया था और देश में लगी इमरजेंसी को सपोर्ट किया था. आपको बता दें कि मौजूदा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105 सीटें, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 सीटें और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं.
शिवसेना की स्थापना साल 1966 में बालासाहेब ठाकरे ने की मुंबई में की थी. स्थापना के समय शिवसेना की छवि कट्टर कांग्रेस विरोधी के रूप में थी. पार्टी मुखिया बालासाहेब ठाकरे आए दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कैरिकेचर बनाकर उन पर खूब हमला बोलते थे बाद में ऐसा समय भी आया जब यही बालासाहेब इंदिरा गांधी के समर्थन में खड़े हो गए. साल 1975 में इमरजेंसी के दौरान शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने इंदिरा गांधी को सपोर्ट किया था. बालासाहेब के इस फैसले ने हर किसी को चौंका दिया था साथ ही यह भी दिखा दिया था कि राजनीति में कोई किसी का दुश्मन नहीं होता है.
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शिवसेना को भारी पड़ा था कांग्रेस का साथ
इतना ही नहीं साल 1977 के चुनाव में भी बालासाहेब ठाकरे ने कांग्रेस का समर्थन किया था, लेकिन शिवसेना को ये समर्थन काफी भारी पड़ा था. इसके अगले ही साल 1978 के विधानसभा चुनाव और बीएमसी चुनाव में शिवसेना को जबरदस्त शिकस्त झेलनी पड़ी. इस हार से शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे को गहरा धक्का लगा और उन्होंने शिवाजी पार्क में एक बड़ी रैली में अपना इस्तीफा दे दिया लेकिन शिवसैनिकों ने बालासाहेब के इस इस्तीफे का विरोध करते हुए उनका इस्तीफा वापस करवा दिया था.
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इमरजेंसी में इसलिए कांग्रेस के सपोर्ट में आए थे बालासाहेब
साल 1975 में इमरजेंसी लगने के बाद कांग्रेस के विरोधी नेताओं को सीधे जेल में भेजा जा रहा था. मीडिया में आईं खबरों के मुताबिक महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण ने बालासाहेब के सामने दो विकल्प रखे या तो आप दूसरे विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी देकर जेल जाएं या फिर आपातकाल के समर्थन का ऐलान कर दें. बाला साहेब ठाकरे ने उस समय मौके का फायदा उठाते हुए आपात काल को समर्थन देना ही मुनासिब समझा.
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शिवसेना को खड़ा करने में था कांग्रेस का हाथ!
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस ने शिवसेना को खड़ा करने में उसकी मदद भी की थी हालांकि इसमें कांग्रेस का अपना निजी स्वार्थ था वो कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ किसी और दल को तैयार करना चाहती थी. जिसकी वजह से कांग्रेस ने शिवसेना को मजबूत बनाने में उसकी मदद भी की थी. 1980 में लोकसभा चुनावों के दौरान शिवसेना ने कांग्रेस का समर्थन किया था. बालासाहेब ने कांग्रेस के खिलाफ शिवसेना के प्रत्याशी नहीं उतारे थे. हालांकि इसका एक कारण यह भी बताया गया था कि बाला साहेब ठाकरे के तत्कालीन मुख्यमंत्री एआर अंतुले के साथ निजी रिश्ते थे जिसकी वजह से उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे. बाला साहेब ठाकरे ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी प्रतिभादेवी पाटील और प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपति चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार बनने के बाद उनका समर्थन किया था.
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