संगठन के साथ अब व्यक्ति भी घोषित हो सकेगा आतंकवादी, जानें UAPA बिल की खास बातें
दावा किया जा रहा है कि ये बिल आतंकवाद पर लगाम कसने में मदद करेगा. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर UAPA संशोधन विधेयक है क्या?
नई दिल्ली:
बहुमत न होने के बावजूद विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन विधेयक 2019 unlawful activities prevention amendment act (UAPA) 2019 राज्यसभा में पास हो चुका है. बिल के पक्ष में 147 तो विपक्ष में 42 वोट पड़े. इससे पहले ये बिल लोकसभा में भी पास हो चुका है. शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह ने इसे राज्यसभा में पेश करते हुए कहा, 'आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए हमें एकजुट होकर इस बिल का समर्थन करना होगा.' दावा किया जा रहा है कि ये बिल आतंकवाद पर लगाम कसने में मदद करेगा. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर UAPA संशोधन विधेयक है क्या?
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क्या है UAPA संशोधन विधेयक?
यूएपीए बिल के तहत केंद्र सरकार किसी भी संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर सकती है अगर नीचेदुओं में से किसी एक में भी उसे शामिल पाया जाता है. इसके अलावा सरकार व्यक्तिगत रूप से किसी शख्स को भी आतंकवादी घोषित कर सकती है
1. अगर आतंकी हमले किसी भी तरह से उसकी सहभागिता हो.
2. अगर वो संगठन आतंकवाद की तैयार कर रहा हो
3. अगर किसी संगठन की तरफ से आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा हो.
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NIA की शक्तियों में होगा इजाफा
इस संशोधित विधेयक के कानून बन जाने से NIA की शक्तियों में भी इजाफा होगा. इससे NIA का अगर कोई अफसर आतंकवाद से जुड़े किसी भी मामले में जांच कर रहा है तो वो केवल एनआईए के महानिदेशक से अनुमति लेकर संपत्ति सीज कर सकता है. अब तक NIA को संपत्ति सीज पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से इजाजत लेनी पड़ती थी. इसके अलावा आतंकवादी मामले से जुड़ी जांच के लिए भी एनआईए की ताकत बढ़ जाएगी. दरअसल अब तक ऐसे ममालों की जांच डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (डीएसपी) या असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (एसीपी) रैंक के अधिकारी ही करते थे, लेकिन अब इस विधेयक के बाद ऐसे मामलों की जांच एनआईए के इंस्पेक्टर रैंक या उससे ऊपर के अफसर कर सकते हैं.
क्यों है विपक्ष को आपत्ति
दरअसल विपक्ष को डर है कि UAPA में इस नए संशोधन के बाद NIA की मनमानी बढ़ जाएगी. दरअसल इस नए बदलाव के बाद एनआईए को काफी सारे अधिकार मिल जाएंगे. इसके तहत वो लोगों को आतंकी गतिविधियों के शक के आधार पर भी उठा सकेगी. विपक्ष को डर है कि UAPA में इस नए संशोधन से अल्पसंख्यकों के लिए परेशानी बढ़ सकती है.
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