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CBI और CJI से जुड़े मामलों में अरुण जेटली ने सरकार के लिए क्या भूमिका निभाई

अरुण जेटली आगे आए और उन्होंने कहा था कि सीबीआई देश की प्रथम जांच एजेंसी है और इसलिए उसकी मर्यादा भी बनी रहनी चाहिए.

Updated on: 24 Aug 2019, 12:47 PM

नई दिल्‍ली:

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली नहीं रहे. शनिवार को 66 वर्षीय अरुण जेटली ने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली. अरुण जेटली को सांस में तकलीफ के चलते 9 अगस्त को एम्स में भर्ती करवाया गया था. जिसके बाद उन्हें देखने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अलावा बीजेपी के कई दिग्गज नेता एम्स पहुंचे थे. रविवार को जेटली के स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अलावा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्रा, आरएसएस संयुक्त महासचिव डॉ कृष्ण गोपाल और अमर सिंह भी पहुंचे हैं. वहीं, पिछले शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल समेत कई नेता जेटली का हाल चाल लेने के लिए एम्स पहुंचे थे.

अरुण जेटली ने मोदी सरकार 2.0 में खराब स्वास्थ्य का हवाला देते किसी भी मंत्रिपद से इनकार कर दिया था. अरुण जेटली ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री की भूमिका निभाई थी इसके अलावा सूचना प्रसारण मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय का प्रभार भी उनके पास कुछ दिनों तक रहा. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली की दो प्रमुख घटनाएं थी जिनमें जेटली ने राजनीति से ऊपर उठकर सीजेआई और सीबीआई के बार में लिखा था. पहला मामला सीबीआई को लेकर था जब सीबीआई चीफ आलोक वर्मा और राकेश वर्मा के बीच विवाद चल रहा था और दूसरा जब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर एक महिला ने यौन शोषण का आरोप लगाया था.

अरुण जेटली ने किया था चीफ जस्टिस का बचाव
बात अप्रैल 2019 की है जब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर एक महिला ने यौन शोषण का आरोप लगाया था. तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने यौन शोषण के आरोपों से घिरे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई का बचाव किया था. अरुण जेटली ने चीफ जस्टिस के बचाव में सोशल मीडिया पर ब्लॉग लिखा था. इस ब्लॉग में उन्होंने कहा था कि हमें सीजेआई की निष्ठा पर शक नहीं करना चाहिए. वित्त मंत्री ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ अपुष्ट आरोपों का समर्थन कर प्रधान न्यायाधीश की संस्था को अस्थिर करने का प्रयास करने वाले ऐसे लोग हैं, जिनका काम न्यायपालिका के कार्यों में रूकावटें खड़ी करना है. उन्होंने कहा कि ये समय न्यायपालिका के साथ डटकर खड़े रहने का है. न कि उनकी कर्तव्यनिष्ठा पर सवाल उठाने का है. जेटली ने कहा था कि ऐसे लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

CBI कलह पर जेटली ने कहा था जांच का अधिकार CVC के पास
अक्टूबर 2018 में सीबीआई के आतंरिक कलह पर भी अरुण जेटली ने मोर्चा संभाला था. सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज गया और संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को तत्काल प्रभाव से अंतिरम निदेशक नियुक्त कर दिया. जिसके बाद पत्रकारों के तीखे सवालों का जवाब देने के लिए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली आगे आए और उन्होंने कहा था कि सीबीआई देश की प्रथम जांच एजेंसी है और इसलिए उसकी मर्यादा भी बनी रहनी चाहिए. वित्त मंत्री ने कहा कि इस मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए और सरकार उसकी जांच नहीं कर सकती है और ना करेगी. उन्होंने कहा कि सीबीआई एक्ट के मुताबिक, सीबीआई की जांच का अधिकार सीवीसी के पास है. सीबीआई के भ्रष्टाचार के सभी मामलों की जांच के अधिकार सीवीसी के पास है. कौन जांच करेगा और किसको गवाह बनाना है यह कानून यानि सीपीसी के मुताबिक ही तय किया जाएगा.