logo-image

तीन तलाक : कपिल सिब्बल बोले- वोटिंग के वक्त कई दल नदारद रहे, उनके इस विरोध का क्या मतलब?

कपिल सिब्बल ने कहा कि बिल को हमलोग सलेक्ट कमेटी के पास भेजना चाहते थे, लेकिन कई दल के सदस्य राज्य सभा से गायब रहे

Updated on: 31 Jul 2019, 06:45 AM

highlights

  • तीन तलाक बिल पास होने पर कपिल सिब्बल ने जताई नाराजगी
  • बोले कई दल वोटिंग के दौरान नदारद रहे
  • राज्य सभा में तीन तलाक बिल पास हो गया

नई दिल्ली:

तीन तलाक बिल अब मंगलवार को राज्य सभा में भी पास हो गया. इससे पहले लोकसभा में बिल पास हो गया था. पक्ष में 99 और विपक्ष में 84 वोट पड़े. तीन तलाक बिल पास होने पर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने विपक्षी दलों पर कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि यह दुख की बात है कि जो विपक्ष चर्चा के दौरान तीन तलाक बिल का विरोध किया. जब वोटिंग की समय आया तो वह सदन से नदारद रहे. ये ऐसा क्यों हुआ ? यह चिंता का विषय है. 

यह भी पढ़ें  -अनुच्छेद 35ए पर सर्वोच्च न्यायालय में जल्द सुनवाई की मांग

कपिल सिब्बल ने कहा कि बिल को हमलोग सलेक्ट कमेटी के पास भेजना चाहते थे. लेकिन कई दल के सदस्य राज्य सभा से गायब रहे. ऐसे में उनके इस विरोध का क्या मतलब है? उन्होंने कहा कि तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए, लेकिन सरकार ने बात नहीं मानी. इसीलिए वोटिंग कराई गई. लेकिन सवाल उन लोगों पर है जो वोटिंग के दौरान सदन से नदारद रहे.

यह भी पढ़ें  -सोनिया गांधी के करीबी अहमद पटेल के दामाद से ED ने की पूछताछ

मुस्लिम महिलाओं से एक साथ तीन तलाक को अपराध करार देने वाला बिल राज्यसभा से भी पारित हो गया है. राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून के तौर पर लागू हो जाएगा. वोटिंग के दौरान बसपा, पीडीपी, टीआरएस, जेडीयू, एआईएडीएमके और टीडीपी जैसे कई दलों ने वॉकआउट कर दिया. सदन से विपक्ष के बिखरने के बाद सरकार मजबूत स्थिति में आ गई. जिससे बिल पास हो गया. इसी बात को लेकर कपिल सिब्बल ने नाराजागी जताई है.

यह भी पढ़ें  -

इस तरह से बिल हो गया पास

बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव 100 के मुकाबले 84 वोटों से गिर गया. बिल का विरोध करने वाले जेडीयू, एनसीपी, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), बसपा और पीडीपी जैसे कई दल वोटिंग से दूर रहे. राज्यसभा में यह बिल पास होना सरकार के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है क्योंकि उच्च सदन में अल्पमत में होने की वहज से उसके लिए इस बिल को पास कराना मुश्किल था. इससे पहले भी एक बार उच्च सदन से यह बिल गिर गया था.