डैमेज कंट्रोल में जुटा अमेरिका, मध्यस्थता पर बयान के बाद भारत आ रहे डोनाल्ड ट्रंप के दूत
भारत ने नई दिल्ली और वाशिंगटन में होने वाली द्विपक्षीय वार्ताओं में पाकिस्तान को दी जाने वाली सुरक्षा सहायता पर कड़ी आपत्ति जताने का फैसला लिया है.
नई दिल्ली:
कश्मीर पर मध्यस्थता को लेकर विवादित बयान देने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं. इसी सिलसिले में डोनाल्ड ट्रंप के दूत विदेश उप मंत्री जॉन सूलीवान भारत दौरे पर आ रहे हैं. जॉन सूलीवान पाकिस्तान को सुरक्षा सहायता दिए जाने के बाद भारत की चिंताओं को भी दूर करेंगे. भारत ने नई दिल्ली और वाशिंगटन में होने वाली द्विपक्षीय वार्ताओं में पाकिस्तान को दी जाने वाली सुरक्षा सहायता पर कड़ी आपत्ति जताने का फैसला लिया है.
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टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, हम अपनी गहरी चिंताओं से अमेरिका को अवगत कराएंगे. सूत्र ने यह भी कहा कि अमेरिका ने भारत को आश्वासन दिया है कि पाकिस्तान को लेकर सुरक्षा नीति में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आया है. रवीश कुमार ने कहा- अमेरिका ने खुलेआम पाकिस्तान को दी जाने वाली f-16 लड़ाकू विमानों को लेकर तकनीकी और लॉजिस्टिक सहायता देने का ऐलान किया है. अमेरिकी दूत जॉन सूलीवान 17 अगस्त से भारत दौरा शुरू करेंगे.
जॉन सूलीवान के दौरे पर भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने पर बल दिया जाएगा. सूलीवान की भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल के साथ मीटिंग प्रस्तावित है. अमेरिका ने हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के दौरे के समय F-16 लड़ाकू विमानों के लिए 125 मिलियन डॉलर का तकनीकी और लॉजिस्टिक सपोर्ट देने का ऐलान किया है. पाकिस्तान इसे खुद के लिए बड़ी सफलता मान रहा है. उस समय डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर पर मध्यस्थता का राग अलापकर पाकिस्तानी खेमे में खुशखबरी की लहर दौड़ा दी थी. दूसरी ओर, भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया था.
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इमरान खान की अमेरिका यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी ने जापान के ओसाका में मुलाकात के दौरान कश्मीर पर मध्यस्थता की गुजारिश की थी. भारत ने इस पर अमेरिका के सामने तीखी आपत्ति जताई थी. इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय और व्हाइट हाउस को सफाई तक देनी पड़ी थी. वहां के कुछ सांसदों ने तो भारतीय राजदूत से माफी भी मांगी थी. उसके बाद अमेरिका ने अपने आधिकारिक बयान में कहा था कि हम कश्मीर को अब भी द्विपक्षीय मसला मानते हैं और मध्यस्थता करने का हमारा कोई इरादा नहीं है.
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