नरेंद्र मोदी के सामने निडर होकर बात करने वाले नेतृत्व की जरूरत, जोशी का बड़ा बयान
बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने परोक्ष अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि भारत को ऐसे नेतृत्व की ज़रूरत है, जो प्रधानमंत्री के सामने निडर होकर बात कर सके.
highlights
- गाहे-बगाहे मोदी सरकार पर निशाना साधने वाले मुरली मनोहर जोशी ने फिर छेड़ी तान.
- कहा-भारत को ऐसे नेतृत्व की ज़रूरत है, जो प्रधानमंत्री के सामने निडर होकर बात कर सके.
- कांग्रेस नेता जयपाल रेड्डी को श्रद्धांजलि कार्यक्रम में कही बीजेपी नेता ने बड़ी बात.
नई दिल्ली:
बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने परोक्ष अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि भारत को ऐसे नेतृत्व की ज़रूरत है, जो प्रधानमंत्री के सामने निडर होकर बात कर सके और उनसे बहस कर सके. उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर पार्टी लाइन से ऊपर उठकर चर्चा करने की परम्परा 'लगभग खत्म' हो चुकी है और उसे दोबारा शुरू करना होगा. जोशी का यह बयान लंबे समय की खामोशी के बाद पीएम पर नया निशाना है.
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पहले भी साध चुके निशाना
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह टिप्पणी जुलाई में दिवंगत हुए कांग्रेस नेता जयपाल रेड्डी को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में की. उन्होंने हिन्दी में कहा, 'मेरा मानना है कि ऐसे नेतृत्व की बहुत ज़रूरत है, जो बेबाकी से अपनी बात रखता हो, सिद्धांतों के आधार पर प्रधानमंत्री से बहस कर सकता हो, बिना किसी डर के, और बिना इस बात की परवाह किए कि प्रधानमंत्री नाराज़ होंगे या खुश...' 85-वर्षीय दिग्गज राजनेता की टिप्पणी खासीअहम है, क्योंकि वह पार्टी के मौजूदा नेतृत्व की आलोचना करते रहे हैं. इसी साल लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिए जाने पर उन्होंने खुलेआम नाराज़गी भी व्यक्त की थी.
#WATCH: Murli Manohar Joshi, senior BJP leader says,"I think there is a need for such a leadership today which expresses views clearly, can debate with the Prime Minister based on principles, without any inhibition and not worrying about making him happy or sad." (3/9) pic.twitter.com/Yk59BRnky0
— ANI (@ANI) September 4, 2019
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जयपाल रेड्डी को किया याद
मंगलवार के कार्यक्रम में मुरली मनोहर जोशी ने याद किया कि 1990 के दशक में जब जयपाल रेड्डी मंत्री थे, वह बौद्धिक संपदा अधिकारों पर चर्चा के लिए एक अहम फोरम के सदस्य भी थे, और अक्सर सरकार के रुख से अलग राय पेश किया करते थे. उन्होंने बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे अहम मुद्दों पर जयपाल रेड्डी एवं वामदल सहित अन्य दलों के नेताओं की मौजूदगी वाले विभिन्न नेताओं के समूहों (फोरम) का जिक्र करते हुए कहा कि इन समूहों में दलगत विचारधारा से हटकर विचार-विमर्श होता था.
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