भारतीय चुनाव प्रणाली को बदलने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन (TN Sheshan) का निधन
टीएन शेषन का पूरा नाम तिरुनेल्लाई नारायण अय्यर शेषन था. वह 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर, 1996 तक इस पद पर रहे.
नई दिल्ली:
पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त टीएन शेषन का 87 वर्ष की उम्र में रविवार को निधन हो गया. शेषन ने चेन्नई में अंतिम सांस ली. वह भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त थे. उनके विषय में प्रसिद्ध था,'राजनेता सिर्फ दो लोगों से डरते हैं, एक भगवान और दूसरे शेषन'. टीएन शेषन का पूरा नाम तिरुनेल्लाई नारायण अय्यर शेषन था. वह 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर, 1996 तक इस पद पर रहे. उनके निधन की सूचना ट्वीटर पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने साझा करते हुए लिखा कि वह अपने सभी उत्तराधिकारियों के लिए एक सच्चे किंवदंती और मार्गदर्शक बल थे. मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं.
Sad to announce that Shri TN Seshan passed away a short while ago. He was a true legend and a guiding force for all his successors. I pray for peace to his soul.
— Dr. S.Y. Quraishi (@DrSYQuraishi) November 10, 2019
बता दें टी एन शेषन ने 1990 से लेकर 1996 तक मुख्य चुनाव आयुक्त का पद संभाला था. शेषन पहले ऐसे मुख्य चुनाव आयुक्त बने जिन्होंने भारतीय चुनाव प्रणाली में व्यापक बदलाव किया. मतदाता पहचान पत्र की शुरुआत भी भारत में उन्हीं के द्वारा शुरू की गई थी. 1996 में उन्हें रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था. मुख्य चुनाव आयुक्त का पद संभालने से पहले वह 1989 में भारत के 18वें कैबिनेट सेक्रेटरी का पद संभाल रहे थे. वर्ष 1997 में उन्होंने राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा, लेकिन के आर नारायणन से हार गए. उसके दो वर्ष बाद कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन उसमें भी पराजित हुए.
टी एन शेषन ने अपने कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव किसी को नहीं बख्शा. वो पहले चुनाव आयुक्त थे जिन्होंने बिहार में पहली बार 4 चरणों में चुनाव करवाया था. इस दौरान चारों बार चुनाव की तारीखें बदली गईं.
बता दें कि इस दौरान लालू ने रैलियों में उनके खिलाफ खूब बयानबाजी की लेकिन शेषन उनकी बातों से कहां डरने वाले थे. उन्होंने कई चुनाव रद्द करवाए और बिहार में बूथ कैप्चरिंग रोकने के लिए सेंट्रल पुलिस फोर्स का इस्तेमाल किया. जानकारी के मुताबिक ये बिहार के इतिहास का सबसे लंबा चुनाव था.
1992 के उत्तर प्रदेश चुनाव में टीएन शेषन ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों, पुलिस अफसरों और 280 पर्यवेक्षकों से कह दिया था कि एक भी गलती बर्दाश्त नहीं की जाएगी. अखबारों में छपी कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक तब एक रिटर्निंग ऑफिसर ने कहा था- ‘हम एक दयाविहीन इंसान की दया पर निर्भर हैं.’ सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही शेषन ने करीब 50,000 अपराधियों को ये विकल्प दिया था कि या तो वो अग्रिम जमानत ले लें या पुलिस के हवाले कर दें.
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