तिहाड़ जेल : फांसीघर में 4 मुजरिमों को फंदे पर लटकाने की खबर से हड़कंप!
खबर ने कुछ देर के लिए तिहाड़ जेल सुरक्षाकर्मियों तक की सांसें रोक दीं.
नई दिल्ली:
सोमवार को दिन के वक्त तिहाड़ जेल में खबर फैल गई कि चार मुजरिमों को एक साथ फांसीघर में लटका दिया गया है. खबर ने कुछ देर के लिए तिहाड़ जेल सुरक्षाकर्मियों तक की सांसें रोक दीं. यहां बंद कैदियों में हकीकत जानने की होड़ लग गई. कई घंटे तक हड़कंप का आलम बरकरार रहा. उसके बाद धीरे-धीरे जब असलियत सामने आनी शुरू हुई, तब सबने अपना-अपना माथा पकड़ लिया. दरअसल, फांसीघर में किसी असली मुजरिम को नहीं लटकाया गया था, बल्कि फांसी पर लटकाए जाने का 'ट्रायल' था.
ट्रायल भी निर्भया हत्याकांड के मुजरिमों को फांसी पर लटकाने का. यह ट्रायल चार 'डमी' पर अमल में लाया जा रहा था. ये सभी डमी निर्भया के कातिलों के वजन, कद-काठी की थीं. इन्हीं डमियों को फंदे पर लटकाया जा रहा था. इस ट्रायल के जरिये देखा जा रहा था कि निर्भया के कातिलों को फंदे पर टांगने वाले दिन कहीं कोई कमी बाकी न रह जाए. उल्लेखनीय है कि सोमवार से पहले भी इस तरह का ट्रायल अमल में लाया गया था. जब निर्भया के हत्यारों को लटकाने की तारीख बदल गई, तो सब कुछ शांत हो चुका था. अब, जब निर्भया के कातिलों को फंदे पर टांगने की तारीख की उल्टी गिनती शुरू हो गई है, तब सोमवार को दुबारा तिहाड़ जेल प्रशासन ने ट्रायल (अभ्यास) कर लेना मुनासिब समझा.
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आपको बता दें कि निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे दोषियों में से एक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उसकी दया याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ अब दोषी ने शीर्ष न्यायालय में अर्जी दाखिल कर अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की है. मामले के दोषी मुकेश कुमार सिंह (32) ने पिछले सप्ताह दया याचिका पेश की थी, जिसे 17 जनवरी को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था. प्रधान न्यायाधीश न्यामूर्ति एस.ए बोबडे, न्यामूर्ति बी.आर. गवई और न्यामूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, अगर किसी को फांसी होने वाली है, तो इससे ज्यादा जरूरी कुछ नहीं हो सकता.
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दोषियों को एक फरवरी को फांसी दी जानी है. अदालत ने मुकेश के वकील को संबंधित अधिकारी से संपर्क करने के लिए कहा है. इससे पहले शीर्ष अदालत ने आरोपियों को दोषी ठहराए जाने और फांसी की सजा के खिलाफ दायर उनकी याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद मुकेश ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका की अर्जी लगाई थी. इस मामले में निचली अदालत ने दोषियों को मौत की सजा दिए जाने के लिए वारंट जारी किया है. उन्हें एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जानी है.
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