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निर्भया के दोषियों को 'गरुड़ पुराण' पाठ सुनाना चाहता है यह शख्स, मांगी अनुमति

उन्नाव की जिला कारागार में जेल सुधारक प्रदीप रघुनंदन ने तिहाड़ जेल प्रशासन के सामने 'गरुड़ पुराण' सुनाने का प्रस्ताव रखा है.

Updated on: 16 Jan 2020, 09:40 AM

उन्नाव:

दिल्ली की निर्भया (Nirbhaya) को अब कुछ ही दिनों में इंसाफ मिलने वाला है. पीड़िता के दरिंदों को फांसी दिया जाना सुनिश्चित हुआ है. चारों गुनहगारों को जनवरी को मृत्युदंड दिया जाना है. जहां बचाव पक्ष दोषियों की सजा टालने की कोशिश में लगा है तो तिहाड़ जेल (Tihar Jail) प्रशासन फांसी की तैयारी में जुटा है. गुनहगारों को गरुड़ पुराण सुनाने की तैयारी है. उन्नाव (Unnao) की जिला कारागार में जेल सुधारक प्रदीप रघुनंदन ने तिहाड़ जेल प्रशासन के सामने 'गरुड़ पुराण' सुनाने का प्रस्ताव रखा है. 'गरुड़ पुराण' में मृत्यु के मानसिक भय से मुक्ति और आत्मा की सद्गति की आस्था का हवाला देकर जेल सुधारक प्रदीप रघुनंदन ने महानिदेशक से इसकी अनुमति मांगी है. जेल सुधारक की मानें तो उन्हें आश्वासन तो मिल चुका है, लेकिन अभी तक लिखित आदेश नहीं आया है. लिखित आदेश आते ही वह आचार्यों की टीम के साथ तिहाड़ जेल पहुंचेंगे.

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14 साल से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कारागार में बंदियों को अपराध मुक्त करने के लिए प्रयासरत जेल सुधारक प्रदीप रघुनंदन बताते हैं कि निर्भया के दोषियों को विधि संहिता के तहत फांसी की सजा दी गई है और उनको दंड दिया जाना सुनिश्चित है. हमने महानिदेशक कारागार संजीव गोयल व तिहाड़ जेल प्रशासन से मांग की है. भारतीय धर्म के अनुसार, जो व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होता है, उसके मानसिक भय को समाप्त करने के लिए गरुड़ पुराण सुनाई जाने की व्यवस्था है.

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प्रदीप रघुनंदन का कहना है कि इस पुराण के 16 अध्याय हैं, 17 अध्याय में इसके महत्व के बारे में बताया गया है. पहले इसमें 17000 श्लोक थे, अब वह घटकर 9000 हो गए. कोशिश है कि जो मानसिक प्रताड़ना व मानसिक भय उन चारों दोषियों के मन व मस्तिष्क में है, उसे दूर किया जाए. मृत्यु के उपरांत आत्मा की शांति प्रदान करने के लिए गरुड़ पुराण सुनाए जाने की व्यवस्था है. उनके शरीर ने जो कर्म किया है. भारतीय विधि व्यवस्था के तहत दंड सुनिश्चित किया जा चुका है. उनका आगे का जन्म जैसा कि भारती रीत रिवाज के अनुसार आत्मा पुनर्जन्म लेती है. वह पुनः इस तरह के आचरण ना हो इन सारे मानसिक स्थितियों से बचाने के लिए गरुड़ पुराण सुनाया जाता है. जिसकी तिहाड़ जेल प्रशासन से मांग की है. डीजी कारागार संजीव गोयल को पत्र लिखा है.

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उन्होंने गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है. अधिकारियों ने बताया है कि होम मिनिस्ट्री से पत्राचार किया गया है. आदेश मिलते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. कहा कि वैसे तो गरुड़ पुराण पाठ में 9 से 10 दिन का समय लगता है. लेकिन यह मामला अलग है, इसलिए 2 से 3 दिन में प्रकिया पूरी कर ली जाएगी. हालांकि प्रदीप रघुनंदन ने अधिकारियों के द्वारा मौखिक रूप से गरुड़ पुराण पाठ सुनाए जाने की बात कही है.

आपको बता दें कि उन्नाव जिला कारागार के जेल सुधारक डॉक्टर प्रदीप रघुनंदन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की कई जेलों में रेडियो जॉकी, जेल स्टूडियो, बंदियों के मनोरंजन और स्वास्थ्य सुधार के लिए कैरम, चेस और आउटडोर में वालीबॉल व फुटबॉल की व्यवस्था करवाई है और कैदियों में सुधार के लिए इस तरह के कार्यक्रम चलाते रहते हैं. जिसके लिए पूर्व में उत्तर प्रदेश की सरकार उन्हें सम्मानित कर चुकी है.