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फांसी टालने में अब नहीं चलेंगे हथकंडे, सुप्रीम कोर्ट तय करेगा दिशा निर्देश

निर्भया गैंग रेप केस के दोषियों की ओर से लगातार फांसी की सजा टालने के लिए कोर्ट की रुख करने के बाद शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट इस बात पर सहमत हो गया है कि इस मामले में नए दिशा निर्देश तय किए जाएं.

Updated on: 31 Jan 2020, 12:56 PM

नई दिल्ली:

फांसी की सजा पाए दोषी अब फांसी की सजा टालने के लिए हथकंडे नहीं अपना सकेंगे. निर्भया गैंग रेप केस के दोषियों की ओर से लगातार फांसी की सजा टालने के लिए कोर्ट की रुख करने के बाद शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट इस बात पर सहमत हो गया है कि इस मामले में नए दिशा निर्देश तय किए जाएं. फांसी की सज़ा के मामलों में पीड़ित और समाज के हित को ध्यान में रखते हुए दिशा निर्देश बनाये जाने की केंद्र सरकार की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका पर नोटिस जारी किया है. सरकार का कहना है कि 2014 में शत्रुघ्न चौहान केस में दिए SC के दिशा निर्देश दोषियों के लिए फांसी टलवाने के लिए हथकंडा बन गया है.

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निर्भया गैंग रेप मामले में दोषी लगातार फांसी की सजा को टालने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. शुक्रवार को दोषी विनय से भी सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल की है. दूसरी तरह तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा है कि इस मामले में दोषी विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित हैं ऐसे में उसे छोड़कर अन्य दोषियों को एक फरवरी को फांसी दी जा सकती है. इस बात का दोषियों की वकील वृंदा ग्रोवर ने विरोध किया. उन्होंने कहा कि कोर्ट के पुराने फैसलों के आधार पर एक मामले में सभी दोषियों को एक ही दिन सजा दी जा सकती है. वकीलों की इसी पैंतरे बाजी के बाद सुप्रीम कोर्ट फांसी की सजा के मामले में नए दिशा निर्देश तय करने पर सहमत हो गया है.  

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इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी दया याचिका के प्रावधान पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया था. उन्होंने कहा था कि इस तरह के अपराध में दोषियों को मांफी नहीं दी जा सकती. ऐसे में दया याचिका का कोई औचित्य नहीं है.