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इंटेलीजेंस फेल्‍योर होने के चलते हुआ था पुलवामा में आतंकी हमला, 40 जवान हुए थे शहीद

सीआरपीएफ के आंतरिक रिपोर्ट के मुताबिक, 14 फरवरी को CRPF के काफिले पर हमले में खुफिया एजेंसी की विफलता थी.

Updated on: 04 Sep 2019, 10:37 AM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्‍मीर के Pulwama में हुए आतंकी हमले की आतंरिक जांच रिपोर्ट में इंटेलीजेंस फेल्‍योर होने की बात सामने आई है. सीआरपीएफ के आंतरिक रिपोर्ट के मुताबिक, 14 फरवरी को CRPF के काफिले पर हमले में खुफिया एजेंसी की विफलता थी. रिपोर्ट के मुताबिक, IED से हमले के बारे में सामान्य चेतावनी थी, लेकिन कार से आत्मघाती हमले को लेकर कोई विशेष खतरा नहीं बताया गया था. किसी भी खुफिया एजेंसी ने इस तरह के इनपुट को साझा नहीं किया था.

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इससे पहले गृह मंत्रालय ने बताया था कि पुलवामा आतंकी हमला खुफिया विफलता नहीं थी. 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर बड़ा आतंकी हमला हुआ था. जांच रिपोर्ट के अनुसार, आईईडी खतरे के संबंध में एक सामान्य चेतावनी जारी की गई थी, लेकिन इतना बड़ा हमला होगा, इसका अंदाजा खुफिया एजेंसियों को नहीं था. रिपोर्ट के अनुसार, घाटी में किसी भी खुफिया एजेंसी ने ऐसे इनपुट साझा नहीं किए थे. गृह मंत्रालय ने खुफिया एजेंसियों की विफलता को सिरे से खारिज कर दिया था.

सीआरपीएफ की आंतरिक रिपोर्ट में कई खामियां गिनाई गई हैं. 14 फरवरी को जिस सीआरपीएफ के काफिले पर हमला हुआ, उसमें 78 वाहन थे. काफिले में 2547 जवान जम्मू से श्रीनगर के लिए रवाना हुए थे. काफिले को दूर से ही पहचानना आसान था. रिपोर्ट के अनुसार, काफिले की आवाजाही के दौरान नागरिक वाहन को जाने की इजाजत देना भी महंगा साबित हुआ रिपोर्ट के अनुसार, भारी बर्फबारी के कारण 4 फरवरी के बाद से कोई भी वाहन जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर नहीं चल रहा था.

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14 फरवरी 2019 को दोपहर बाद करीब 3.30 बजे सीआरपीएफ की बस HR 49F 0637 of 76 पर विस्‍फोटकों से लदी कार के द्वारा आत्मघाती हमला किया गया. काफिले में यह बस 5वें नंबर पर थी. हालांकि मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का इस दौरान पालन किया गया था. नियम के मुताबिक हर 4 गाड़ियों के बीच में लंबी दूरी होनी चाहिए. इसका पालन किया गया था और इसी वजह से इसका असर सिर्फ एक गाड़ी पर हुआ.