logo-image

मालगाड़ियों से तेल, कोयले की चोरी पर अब लगेगी लगाम, जानिए सरकार का ये मास्टर प्लान

रेलवे को सबसे ज्यादा आमदनी मालगाड़ियों से होती है, खासतौर से कोयले और तेल (डीजल-पेट्रोल) की ढुलाई रेलवे की कमाई का एक बड़ा जरिया है.

Updated on: 28 Aug 2019, 08:40 PM

highlights

  • अब सरकार रोकेगी मालगाड़ियों की चोरी
  • मालगाड़ियों की होग सेटेलाइट से निगरानी
  • 700 ट्रेनों में लगाए गए हैं जीपीएस सिस्टम

नई दिल्‍ली:

सैटेलाइट से रेलगाड़ियों की रियल टाइम मॉनिटरिंग से अब न सिर्फ रेलयात्रियों को अपने गंतव्य पर पहुंचने की सही सूचना मिलेगी बल्कि मालगाड़ियों से तेल और कोयले की चोरी पर भी लगाम लगेगी. ट्रेनों के मूवमेंट पर अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सैटेलाइट की नजर होने से मालगाड़ियों को अनधिकृत स्टेशनों या आउटर सिग्नलनों पर रोक कर तेल और कोयले की चोरी करना अब मुश्किल हो जाएगा. इसरो के सैटेलाइट के जरिए कंट्रोल ऑफिस एप्लीकेशन सिस्टम में ट्रेनों के परिचालन की रियल टाइम मॉनिटरिंग शुरू हो गई है. इसके लिए 700 से ज्यादा ट्रेनों के इंजनों में जीपीएस सिस्टम लगाए गए हैं. 

रेलवे को सबसे ज्यादा आमदनी मालगाड़ियों से होती है, खासतौर से कोयले और तेल (डीजल-पेट्रोल) की ढुलाई रेलवे की कमाई का एक बड़ा जरिया है. मगर, तेल और कोयले की चोरी की शिकायत अक्सर मिलती रहती है, जिसमें रेलवे के रनिंग स्टाफ, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ), रेलवे स्टेशनों के लोकल कर्मचारी माफिया की मिलीभगत रहती है. आईपीएस अधिकारी और आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने बताया कि नई तकनीक से उम्मीद है कि मालगाड़ियों से तेल और कोयले की चोरी पर लगाम लगेगी, क्योंकि रियल टाइम मॉनिटरिंग होने से अनधिकृत स्टेशनों पर या स्टेशनों के बीच में मालगाड़ियों को रोकना मुश्किल होगा. 

यह भी पढ़ें-भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में सुरक्षा महत्वपूर्ण : अमित शाह

कुमार ने कहा, "अब मालगाड़ियों को जानबूझकर अनधिकृत स्टेशनों पर या स्टेशनों के बीच में रोकना संभव नहीं होगा. अगर कोई मालगाड़ियों को रोककर चोरी को अंजाम देगा तो वह रंगे हाथों पकड़ा जाएगा." गौरतलब है कि इससे पहले ट्रेनों के परिचालन की मॉनिटरिंग के लिए जो सिस्टम रहा है उसमें किसी स्टेशन विशेष से ट्रेनों के पास करने पर ही उसके बारे में पता चलता था कि ट्रेन कहां से गुजर रही है. दो स्टेशनों के बीच में रुकी ट्रेनों के बारे में पता नहीं चल पाता था कि वह ट्रेन कहां रुकी हुई है. मगर, सेटेलाइट की निगरानी के घेरे में आने के बाद ट्रेन की स्पीड और उसके पोजीशन के पल-पल की जानकारी मिलती रहेगी. 

यह भी पढ़ें-मैन्यूफैक्चरिंग और दूसरे क्षेत्रों में मोदी सरकार ने दी 100 प्रतिशत FDI : पीयूष गोयल