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सुप्रीम कोर्ट करेगा मराठा आरक्षण पर सुनवाई, महाराष्ट्र सरकार से 2 हफ्ते में जवाब मांगा

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) द्वारा मराठा आरक्षण को बरकरार रखने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह नोटिस जारी किया है.

Updated on: 12 Jul 2019, 03:12 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र सरकार को मराठा आरक्षण के मामले में नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में जवाब मांगा है. दरअसल, बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) द्वारा मराठा आरक्षण को बरकरार रखने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य में अब जो भी एडमिशन होंगे वो सुप्रीम कोर्ट के आखिरी फैसले के आधार पर होंगे.

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महाराष्ट्र सरकार ने 16 फीसदी रिजर्वेशन की सिफारिश की थी
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने विधानसभा में कानून बनाकर मराठों को शैक्षिक संस्थानों में एडमिशन और सरकारी नौकरियों में 16 फीसदी रिजर्वेशन की सिफारिश की थी. राज्य सरकार के इस कानून को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाई कोर्ट ने आरक्षण के फैसले को बरकरार रखते हुए आरक्षण की सीमा शैक्षिक संस्थानों में को घटाते हुए 12 फीसदी और सरकारी नौकरियों में 13 फीसदी कर दी.

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सुप्रीम कोर्ट में एक NGO की ओर से दायर याचिका के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर 50 फीसदी समयसीमा तय की है. इस आधार पर बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले पर कहा था कि सरकार एक अलग श्रेणी बनाकर सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े मराठों को आरक्षण दे सकती है.

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राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने की थी 12-13 फीसदी आरक्षण की सिफारिश
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने मराठा समुदाय को 12 से 13 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की थी. बता दें कि इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दायर की थी. अर्जी में कहा गया था कि अगर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कोई अपील आती है तो सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र सरकार का पक्ष सुने बगैर कोई फैसला नहीं लें.