अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला : पढ़ें Special 30 Points
अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने मुस्लिम पक्ष को भी अयोध्या में ही महत्वपूर्ण स्थान पर 5 एकड़ जमीन मस्जिद के लिए देने का भी निर्देश दे दिया.
New Delhi:
देश में लंबे बड़े मुकदमे का फैसला आ गया है. अब तक विवादित रही जमीन हिंदू पक्षकारों को दे दी है. इस तरह से अगर देखा जाए तो अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने मुस्लिम पक्ष को भी अयोध्या में ही महत्वपूर्ण स्थान पर 5 एकड़ जमीन मस्जिद के लिए देने का भी निर्देश दे दिया.
इसके पहले सुबह फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च अदालत ने यह भी माना कि इस बात के सबूत मिले हैं कि हिंदू बाहर पूजा-अर्चना करते थे, तो मुस्लिम भी अंदर नमाज अदा करते थे. इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया कि 1857 से पहले ही पूजा होती थी. हालांकि सर्वोच्च अदालत ने यह भी माना कि 1949 को मूर्ति रखना और ढांचे को गिराया जाना कानूनन सही नहीं था. संभवतः इसीलिए सर्वोच्च अदालत ने मुसलमानों के लिए वैकल्पिक जमीन दिए जाने की व्यवस्था भी की है.
- 10 :30 सीजेआई ने फैसला पर दस्तखत किये
- शिया वक़्फ़ बोर्ड का दावा ख़ारिज
- निर्मोही अखाड़ा का ज़मीन पर दावा ख़ारिज
- रामलला विराजमान को न्यायिक व्यक्ति माना
- राम जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना
- एएसआई की रिपोर्ट को ख़ारिज नहीं कर सकते
- एएसआई रिपोर्ट से ये साबित होता है की ज़मीन के निचे मंदिर का स्ट्रक्चर था
- एएसआई रिपोर्ट से ये साबित नहीं होता की मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गयी
- ज़मीन के निचे मौजूद स्ट्रक्चर इस्लामिक नहीं था
- ज़मीन का मामला क़ानूनी सबूतों से तय होगा
- हिन्दू मानते हैं की विवादित जगह पर राम का जन्म हुआ
- निर्विवाद रूप से सुन्नी गवाहों ने भी राम के जन्म को माना
- गवाहों के बयान से कोर्ट ये मानती है की उनकी आस्था जस्टिफाइड है
- इतिहासकारों और यात्रियों ने ने राम जन्म स्थान की पुष्टि की
- इस बात के सबूत हैं की अंग्रेज़ों के आने से पहले भी राम चबूतरा और सीता रसोई की पूजा होती थी
- सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के दावे को ख़ारिज नहीं किया
- मस्जिद के नीचे सिर्फ किसी इमारत की मौजूदगी आज के फैसले के लिए काफी नहीं
- वहाँ नमाज़ कभी खत्म नहीं की गयी
- मुसलमानों ने कभी विवादित जगह पर पूरी तरह से दावा नहीं छोड़ा
- ये साफ़ है की मुस्लिम अंदर इनर कोर्टयार्ड में इबादत करते थे और हिन्दू आउटर कोर्टयार्ड में
- 1992 में मस्जिद गिराना सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना थी
- मस्जिद में मूर्ति रखना और मस्जिद तोडना क़ानून के खिलाफ़ था
- मुस्लिम ये साबित नहीं कर पाए की बाबरी मस्जिद बनाये जाने से पहले ज़मीन उनकी थी
- मुसलामानों के लिए मस्जिद बनाने के लिए दूसरी जगह ज़मीन दी जाए
- मुसलामानों को मस्जिद से बेदखल होना पड़ा
- मुसलमानों को वंचित होना पड़ा
- दो धर्मों के बीच फ़र्क़ नहीं कर सकते
- विवादित ज़मीन सरकार को देना सबसे बेहतर
- केंद्र सरकार तीन महीने के अंदर योजना बनाए
- केंद्र सरकार मंदिर निर्माण के ट्रस्ट के प्रबंधन के लिए ज़रूरी क़दम उठायेविवादित ज़मीन हिन्दू पक्ष को दी जाती है
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