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मस्जिद में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश और दाऊदी वोहरा समुदाय में खतना पर होगा विचारः CJI

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस मामले में बनी 9 जजों की बैंच आने वाले समय में मुस्लिम महिलाओं की मस्जिद में प्रवेश, फायर टेंपल में पारसी महिलाओं के प्रवेश और दाऊदी वोहरा समुदाय में खतना की परंपरा जैसे मामलों पर ही ये बेंच विचार करेगी.

Updated on: 13 Jan 2020, 12:09 PM

नई दिल्ली:

सबरीमाला केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा निर्णय लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस मामले में बनी 9 जजों की बैंच आने वाले समय में मुस्लिम महिलाओं की मस्जिद में प्रवेश, फायर टेंपल में पारसी महिलाओं के प्रवेश और दाऊदी वोहरा समुदाय में खतना की परंपरा जैसे मामलों पर ही ये बेंच विचार करेगी. कोर्ट ने वकीलों से आपस में बात कर ये तय करने को कहा कि किस मसले पर कौन वकील जिरह करेगा ताकि अदालत का समय बच सके. इस मामले में अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी.

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सुप्रीम कोर्ट से सभी वकीलों को 17 जनवरी को मीटिंग करने को कहा. इस बैठक में सेकेट्री जनरल भी शामिल होंगे. कोर्ट ने कहा कि वकील तय करे कि क्या विचार के लिए सौंपे गए सवालों में कोई बदलाव की जरूरत है, क्या कोई नया मुद्दा जोड़ा जाना चाहिए. ये तय किया जाए कि किस मामले पर जिरह के लिए कितना वक्त दिया जाए. सबरीमाला मंदिर मैनेजमेंट की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बेंच को विचार के लिए भेजे गए सवालों का दायरा बहुत विस्तृत है. सवालों को नए सिरे से तय करना चाहिए ताकि बेंच सवालों के जवाब दे सके.

इससे पहले चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने साफ किया कि नौ जजों की संविधान पीठ सबरीमला मन्दिर में सभी उम्र की महिलाओं की एंट्री के आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार अर्जियो पर सुनवाई नहीं कर रही है, बल्कि बेंच पूजा और धार्मिक अधिकार से जुड़े उन सवालों पर विचार कर रही है, जो पांच जजों की बेंच ने 3-2 के बहुमत से विचार के लिए उसके पास भेजे थे. इस मामले में वकील राजीव धवन ने कहा कि कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए. कोर्ट को ये बताने का हक नहीं है कि मेरा धर्म क्या है और क्या मेरे धर्म की जरूरी मान्यताएं हैं, कैसे उनका पालन करना है.

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सीएए से पहले धार्मिक मामलों की होगी सुनवाई - CJI
कोर्ट में मौजूद इंदिरा जयसिंह ने याद दिलाया कि 22 जनवरी की संविधान पीठ CAA से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करने जा रही है. इस मसलों की सुनवाई की वजह से उस सुनवाई में देरी नहीं होनी चाहिए. इस पर सीजेआई ने कहा कि ये सैकड़ों साल पुराने मसले है ( धार्मिक परंपराओं और महिलाओं के अधिकार से जुड़े मसले). पहले ये तय होने दीजिए. उसके बाद उन पर सुनवाई होगी, जो मसले बाद में आये है.