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जनसंख्‍या नियंत्रण को लेकर कानून बनाए जाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता और वकील आश्‍विनी कुमार उपाध्‍याय की ओर से जनसंख्‍या नियंत्रण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.

Updated on: 10 Jan 2020, 02:32 PM

नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता और वकील आश्‍विनी कुमार उपाध्‍याय की ओर से जनसंख्‍या नियंत्रण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. पिछले साल अगस्त में बीजेपी नेता अश्वनी कुमार उपाध्याय ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रेजेंटेशन भी दिया था.

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उन्होंने उस समय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी की सरकार में गठित संविधान समीक्षा आयोग द्वारा संविधान के अनुच्छेद 47A जोड़ने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था. इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है. 2004 में चुनाव में हारने के बाद एनडीए सरकार से बाहर हो गई थी. उन्होंने कहा कि वेंकटचलैया आयोग ने 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी. इसी आयोग के सुझाव देने पर राइट टू फूड, राइट टू इनफार्मेशन और राइट टू एजुकेशन जैसे महत्वपूर्ण कानून बनाए गए, जबकि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर संसद में चर्चा तक नहीं की गई. अश्वनी कुमार उपाध्याय ने आगे कहा, हम दो हमारे दो कानून के जरिए देश की करीब 50 फीसदी समस्याओं का समाधान हो जाएगा.

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पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 15 अगस्‍त के मौके पर लाल किले की प्राचीर से अपने भाषण में जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था. पीएम ने कहा था कि भारत की जनसंख्या तकरीबन 1.37 अरब है. जनसंख्या के मामले में हम दूसरे स्थान पर है. उनके संबोधन के बाद से माना जा रहा था कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर मोदी सरकार कानून बनाने जा रही है.

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इससे पहले पिछले दिनों खबर आई थी कि CAA-NRC पर विवाद को देखते हुए मोदी सरकार (Modi Sarkar) जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) पर कानून लाने की जल्दी में नहीं है. सरकार इस पर पहले आम राय बनाना बनाना चाहती है. इससे पहले चर्चा थी कि जनसंख्या नियंत्रण से जुड़ा कानून बजट सत्र (Budget Session) में ही आ सकता है. नीति आयोग (NITI Ayog) ने पिछले हफ्ते ही चर्चा की थी कि 15 वर्षों में आबादी को नियंत्रण में रखने के लिए क्या नीति हो. लेकिन अब सीएए-एनआरसी पर बवाल को देखते हुए सरकार इसे टालने के मूड में दिख रही है.