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बेरोजगार मजदूरों को आर्थिक मदद की मांग पर बोला सुप्रीम कोर्ट, 10-15 दिनों तक नहीं देंगे सरकार के काम में दखल

भूषण ने कहा कि 40 फीसदी से ज़्यादा लोग ऐसे है, जिन्होंने गांव जाने की कोशिश नहीं की. वो शहरों में अपने घरों में है. पर वो एक वक्त का खाना खरीदने की स्थिति में भी नही है। उन्हें पैसा दिया जाना चाहिए

Updated on: 07 Apr 2020, 12:33 PM

नई दिल्ली:

लॉकडाउन में बेरोजगार हुए मजदूरों को आर्थिक मदद देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अगले 10- 15 दिनों तक सरकार के काम में दखल नहीं देगा. दरअसल सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता हर्ष मन्दर की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा कि 4 लाख ज़्यादा से लोग शेल्टर होम में रह रहे है. सोशल डिस्टेंसिग की बात वहां बेमानी है. उनमें से किसी एक के भी कोरोना संक्रमित होने पर ये वहां रह रहे सभी लोगों को मुश्किल में डाल देगा. उन्हें अपने घर लौटने की इजाजत मिलनी चाहिए.

भूषण ने कहा कि 40 फीसदी से ज़्यादा लोग ऐसे है, जिन्होंने गांव जाने की कोशिश नहीं की. वो शहरों में अपने घरों में है. पर वो एक वक्त का खाना खरीदने की स्थिति में भी नही है. उन्हें पैसा दिया जाना चाहिए.

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सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार स्थिति पर नज़र रखे हुए है. हर सम्भव कदम उठाये जा रहे है. मजदूरों को भोजन और जरूरी सामान दे रहे हैं. शिकायतों के निवारण के लिए हेल्पलाइन बनाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण से कहा कि बिना सरकार की स्टेटस रिपोर्ट देखे आप कैसे कह सकते है कि सरकार कुछ काम नहीं कर रही.

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प्रशांत भूषण ने कहा, सरकार ने शेल्टर होम में खाना और मकान मालिको द्वारा किराया न वसूलने को लेकर दो आदेश जारी किए. दोनो पर अमल नहीं हुआ. चीफ जस्टिस ने कहा, हम इस स्टेज पर सरकार से बेहतर फैसला नहीं ले सकते.अगले 10-15 दिन हम सरकार के काम में नही दखल दे सकते. आप स्टेटस रिपोर्ट पढ़िए. हम सोमवार को सुनवाई करेगे