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सर्वोच्च न्यायालय ने पक्षपात को प्रेस की आजादी के लिए बताया खतरा

शीर्ष अदालत ने कहा कि मीडिया के एक वर्ग में देखा गया है कि पक्षपात का चलन बढ़ रहा है.

Updated on: 11 Apr 2019, 07:50 PM

नई दिल्ली:

सर्वोच्च न्यायालय ने पक्षपात के चलन को प्रेस की आजादी के लिए खतरा बताया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि मीडिया के एक वर्ग में देखा गया है कि पक्षपात का चलन बढ़ रहा है. राफेल विमान सौदे से जुड़े मामले पर आदेश देते हुए बुधवार को न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ ने इस ओर आगाह किया. न्यायाधीश जोसेफ ने स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस की आवश्यकता बताई.

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अदालत ने कहा, "अगर जिम्मेदारी की गहरी समझ के बिना प्रेस आजादी का लाभ उठाती है तो इससे लोकतंत्र कमजोर हो सकता है. कुछ वर्गो में पक्षपात की निराशाजनक प्रवृति देखने को मिलती है."

अदालत ने कहा, "व्यापारिक हित और राजनीतिक वफादारी हावी होने से निष्पक्ष कर्तव्य निभाने में और निष्पक्ष तरीके से सूचनाओं का संग्रह करने में कमी प्रतीत होती है." अदालत ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने और उसे अनुनादी बनाए रखने में प्रेस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, "विजुअल मीडिया ने खासतौर से शक्ति का उपयोग किया है. इसकी पहुंच असीमित प्रतीत होती है और आबादी के हर वर्ग में इसकी पहुंच है."