SC ने दिया आदेश पत्रकार प्रशांत कनौजिया को रिहा किया जाए लेकिन पुलिस की कार्रवाई रहेगी जारी
सुप्रीम कोर्ट में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आपत्तिजनक ट्वीट के लिए गिरफ्तार पत्रकार प्रशांत कनौजिया की पत्नी की याचिका पर सुनवाई हो रही है.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आपत्तिजनक ट्वीट के लिए गिरफ्तार पत्रकार प्रशांत कनौजिया की पत्नी की याचिका पर सुनवाई हो रही है. बेंच की सदस्य जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने गिरफ्तारी पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, व्यक्ति विशेष की अभिव्यक्ति की आजादी का हनन हुआ है. हमने सारे रिकॉर्ड को देखा है, ऐसे ट्वीट नहीं होने चाहिए, लेकिन क्या इसके लिए गिरफ्तारी होगी?. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल प्रशांत को ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया. उन्होंने कहा- यूपी पुलिस FIR के मुताबिक कार्रवाई करे.
Supreme Court hearing plea of freelance journalist, Prashant Kanojia observes, "Liberty of citizen is sacrosanct and non-negotiable. It is guaranteed by the constitution and it cannot be infringed." https://t.co/JDbBjgMXqC
— ANI (@ANI) June 11, 2019
जस्टिस अरुण रस्तोगी ने यूपी सरकार से पूछा कि क्या ये आईपीसी 505 का मामला बनता है?. यूपी सरकार ने प्रशांत कनौजिया द्वारा किए गए सभी ट्वीट्स की कॉपी कोर्ट को सौंपी है. यूपी सरकार की ओर से एएसजी (ASG) ने कोर्ट को बताया कि पत्रकार प्रशांत की सारी टाइम लाइन को हमने देखा है, उसने न केवल राजनेताओं के खिलाफ आपत्तिजनक ट्वीट किए है, बल्कि देवी-देवताओं के खिलाफ भी बेहद अपमानजनक ट्वीट किए है. इसलिए हमने सेक्शन 505 उसके खिलाफ लगाया है.
Supreme Court asks the Uttar Pradesh Government to "show magnanimity in releasing" freelance journalist, Prashant Kanojia. (file pic) pic.twitter.com/iw6DIIPI1v
— ANI (@ANI) June 11, 2019
एएसजी ने बताया कि उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया है. उन्होंने उसे 22 तक रिमांड और भेजा है. कानून एकदम साफ है. जस्टिस इंदिरा बनर्जी यूपी सरकार की दलीलों से सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा- कानून एकदम साफ है. किसी व्यक्ति से उसकी व्यक्तिगत आजादी नहीं छीनी जा सकती है. 11 दिन तक किसी को यूं ही जेल में नहीं रखा जा सकता है.
Supreme Court orders immediate release of freelance journalist, Prashant Kanojia who was arrested by UP Police for 'defamatory video' on UP Chief Minister. pic.twitter.com/OTr47uEVSu
— ANI (@ANI) June 11, 2019
हालांकि, अभी इस मामले में सुनवाई जारी है. जस्टिस अजय रस्तोगी ने प्रशांत को 11 दिनों की रिमांड पर भेजे जाने पर हैरानी जताई है. जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने पूछा, क्या ये मर्डर का मामला है? यूपी सरकार का जवाब- वो इस आदेश को चुनौती दे सकते हैं. जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा, हम न्याय करने के लिए आर्टिकल 142 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं. हम अभी उसे राहत दे सकते हैं. उसे जमानत दे सकते हैं. आप कार्रवाई जारी रखे.
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