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अयोध्या मामला: SC के फैसले का सम्मान करना ही देशहित में होगा : मायावती

राम जन्मभूमि मुद्दे पर अदालत का फैसला जल्द आने के मद्देनजर अयोध्या में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की जा रही है.

Updated on: 07 Oct 2019, 04:05 PM

highlights

  • मायावती ने अयोध्या मामले को लेकर किया ट्वीट
  • सुप्रीम कोर्ट से आने वाले फैसले का सम्मान हो
  • देश में बनाए रखें साम्प्रदायिक सौहार्द

नई दिल्ली:

बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) ने अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में रोज हो रही सुनवाई के बाद आने वाले फैसले का सम्मान करने की बात कही है. बसपा सुप्रीमो ने ट्वीट करते हुए कहा है कि, 'माननीय सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ का बाबरी मस्जिद / रामजन्म भूमि प्रकरण पर दिन-प्रतिदिन की सुनवाई के बाद आगे जो भी फैसला आए उसका सभी को अवश्य ही सम्मान करना चाहिए और देश में हर जगह साम्प्रदायिक सौहार्द का वातावरण कायम रखना चाहिए. यही व्यापक जनहित व देशहित में सर्वोत्तम होगा.'

इसके पहले त्योहारों और राम जन्मभूमि मुद्दे पर अदालत का फैसला जल्द आने के मद्देनजर अयोध्या में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की जा रही है. अयोध्या को हाई अलर्ट पर रखा गया है और दस अतिरिक्त कंपनियों को शहर में तैनात किया जा रहा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हम ड्रोन के साथ दुर्गा पूजा और दशहरा के जुलूसों की निगरानी सुनिश्चित करेंगे और पूजा समिति से अनुरोध किया है कि वे जुलूसों के दौरान गुलाल का इस्तेमाल न करें. वे इसके बजाय फूलों की पंखुड़ियों का उपयोग कर सकते हैं."

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जिला प्रशासन ने अतिरिक्त बलों को ठहराने के लिए व्यवस्था करनी शुरू कर दी है. स्थानीय गेस्ट हाउस, धर्मशालाओं, स्कूलों और कॉलेजों का इस्तेमाल सुरक्षाबलों को ठहराने में किया जाएगा. दुर्गा प्रतिमा विसर्जन और दशहरा उत्सव सोमवार से शुरू होंगे और विभिन्न राम लीलाएं महीने भर दिवाली तक जारी रहेंगी. राज्य सरकार द्वारा दिवाली की पूर्व संध्या पर आयोजित किए जा रहे तीन दिवसीय 'दीपोत्सव' कार्यक्रम में भी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है.

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जिला पुलिस और स्थानीय खुफिया इकाइयों को निर्देशित किया गया है कि वे सभी होटलों, गेस्ट हाउस, धर्मशाला, लॉज और होम स्टे की जांच शुरू करें और वहां काम करने और रहने वाले लोगों के परिचय पत्र का सत्यापन करें. यह खुफिया एजेंसियों द्वारा दी गई खतरे की सूचना के मद्देनजर किया जा रहा है. राम जन्मभूमि विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला भी नवंबर में आने की उम्मीद है और स्थानीय प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था में कोई कोताही नहीं बरतना चाहता.

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