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बड़ी सुनवाई का दिन : आज अयोध्या विवाद सहित इन बड़े मुद्दों को सुनेगा सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत राफेल डील पर डाली गई पुनर्विचार याचिका पर भी सुनवाई करेगी. इसके अलावा अनुच्छेद-35(ए) को लेकर सुनवाई हो सकती है.

Updated on: 26 Feb 2019, 08:17 AM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को कई अयोध्या विवाद (रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद) सहित कई अन्य अहम मुद्दों पर सुनवाई करने वाली है. शीर्ष अदालत राफेल डील पर डाली गई पुनर्विचार याचिका पर भी सुनवाई करेगी. इसके अलावा अनुच्छेद-35(ए) को लेकर सुनवाई हो सकती है. अयोध्या विवाद पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर वाली 5 जजों की संविधान पीठ सुनवाई करेगी. इससे पहले जस्टिस बोबड़े की अवकाश पर रहने के कारण 29 जनवरी को सुनवाई टल गई थी.

संविधान पीठ इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित स्थल को तीन भागों में बांटने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 के अपने फैसले में विवादित स्थल को तीन भागों- रामलला, निर्मोही अखाड़ा और मुस्लिम पक्षकारों में बांट दिया था.

कोर्ट ने बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को भी सुनवाई के दौरान मौजूद रहने को कहा है. स्वामी ने अयोध्या में विवादित स्थल पर पूजा करने की इजाजत मांगने के लिए याचिका डाली थी जिस पर अभी तक सुनवाई नहीं हो पाई. चीफ जस्टिस ने उन्हें मंगलवार की सुनवाई में उपस्थित रहने को कहा है.

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट राफेल डील पर अपने फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगी. यह याचिका पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने केंद्र सरकार को क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ दायर की थी.

शीर्ष अदालत ने 14 दिसंबर को सरकार को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि इस सौदे की प्रक्रिया में कुछ भी संदेहजनक नहीं है. कोर्ट ने कहा था कि राफेल विमानों की कीमत और राफेल विनिर्माण कंपनी दसॉ द्वारा ऑफसेट साझेदार चुनने की उनकी पसंद पर सवाल करना अदालत का काम नहीं है और पीठ को इस मामले में कुछ भी संदेहजनक नहीं लगा.

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वहीं सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद-35(ए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर सकती है. कोर्ट में सुनवाई को लेकर जम्मू-कश्मीर के सभी नेताओं ने अनुच्छेद पर समर्थन देते हुए कहा कि इसके साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ 'आग के साथ खेलने' जैसा होगा.

अनुच्छेद 35(ए) जम्मू-कश्मीर विधानमंडल को राज्य के स्थायी निवासियों को परिभाषित और उन्हें विशेषाधिकार प्रदान करने की शक्ति देता है. 14 मई 1954 को राष्ट्रपति के एक आदेश के जरिए इसे संविधान में जोड़ा गया था.