Ayodhya Land Case : सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल को दिया 15 अगस्त तक का समय
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, हम आपको यह नहीं बताने जा रहे हैं कि इस मामले में आगे क्या प्रगति हुई है. यह पूरी तरह गोपनीय है.
highlights
- मध्यस्थता पैनल के चेयरमैन ने 15 अगस्त तक का समय मांगा था
- रामलला के वकील ने जून तक का ही समय दिए जाने की दलील दी
- इस पर CJI बोले- अब वो समय मांग रहे हैं तो देना ही पड़ेगा
नई दिल्ली:
अयोध्या जमीन विवाद (Ayodhya Land Case) में मध्यस्थता पैनल ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से और समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. चीफ जस्टिस ने कहा, हमें मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट मिली है. साथ ही उन्होंने प्रकिया को आगे बढ़ाने के लिए और वक्त की मांग की है. मध्यस्थता कमेटी के चेयरमैन ने 15 अगस्त तक का और समय मांगा, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, "हम आपको यह नहीं बताने जा रहे हैं कि इस मामले में आगे क्या प्रगति हुई है. यह पूरी तरह गोपनीय है.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से मध्यस्थता पैनल (Mediation Panel) को और समय देने का मतलब यह है कि मध्यस्थता की प्रकिया 15 अगस्त तक चलेगी. हालांकि रामलला के वकील ने कहा कि टाइम जून तक ही दिया जाना चाहिए, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि वो 15 अगस्त तक का वक्त मांग रहे हैं, उससे इंकार कैसे किया जा सकता है. दूसरी ओर, मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता राजीव धवनने कहा कि हम मध्यस्थता प्रक्रिया का समर्थन करते हैं. इसके बाद सुनवाई समाप्त हो गई.
इससे पहले 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को मध्यस्थता पैनल को सौंप दिया था और दो माह बाद रिपोर्ट देने को कहा था. दो माह बाद शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल को 15 अगस्त तक का समय दे दिया. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर की संवैधानिक बेंच में हुई.
जानें मध्यस्थता पैनल के बारे में
मध्यस्थों की कमेटी में जस्टिस खलीफुल्ला, वकील श्रीराम पंचू और आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर शामिल हैं. कमेटी के चेयरमैन जस्टिस खलीफुल्ला हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पर कोई मीडिया रिपोर्टिंग न होने देने का आदेश दिया था. हालांकि मध्यस्थता कमेटी में श्रीश्री रविशंकर को शामिल किए जाने पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने ऐतराज जताया था. उन्होंने कहा था कि उम्मीद है कि मध्यस्थ अपनी जिम्मेदारी समझेंगे. मध्यस्थता को लेकर हिंदू पक्षकारों ने कहा था कि इस मामले को एक बार फिर लटकाने की कोशिश की गई है.
क्या है अयोध्या मामला
मान्यता है कि विवादित जमीन पर ही भगवान राम का जन्म हुआ था. हिंदुओं का दावा है कि 1530 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर गिराकर मस्जिद बनवाई थी. 90 के दशक में राम मंदिर के मुद्दे पर देश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया था. 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था.
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