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25 साल बाद मिला इंसाफ, खाना न खाने जैसे आरोप के लिए SC तक लड़ा जवान

25 साल बाद जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने आर्म्ड फोर्स टिब्यूनल के आदेश को रद्द करते हुए सेना को आदेश दिया है कि नारायण सिंह को पेंशन समेत वह सभी लाभ दिए जाएं जो उसे नौकरी पर बने रहने के बाद मिलने चाहिए थे

Updated on: 21 Sep 2019, 06:33 AM

नई दिल्ली:

"लांस दफेदार नारायण सिंह को जब खाना खाने का आदेश दिया गया तो उसने खाना खाने से इंकार कर दिया." अपने आप में ये बात थोड़ी अटपटी लग सकती है लेकिन एक फौजी को ऐसे ही आरोप के चलते 25 साल तक पेंशन की लड़ाई लड़नी पड़ी. 25 साल बाद जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने आर्म्ड फोर्स टिब्यूनल के आदेश को रद्द करते हुए सेना को आदेश दिया है कि नारायण सिंह को पेंशन समेत वह सभी लाभ दिए जाएं जो उसे नौकरी पर बने रहने के बाद मिलने चाहिए थे.

13 साल बाद नौकरी से हटाया गया
नारायण सिंह को 15 अक्टूबर 1980 में ड्राइवर की नौकरी मिली. उसके बाद उन्हें एएलडी की पोस्ट पर नियुक्त किया गया, और अंत में वो लांसदफेदार के पद तक पहुंच गए. लेकिन साल 1994 मे सेना में 13 साल नौकरी करने के बाद उन्हें अचानक हटा दिया गया. नौकरी से हटाने का ये फरमान तब मिला जब पेंशन पाने के लिए जरूरी 15 साल की सेवा में केवल 17 महीने बचे थे. नौकरी से हटाए जाने के पीछे कारण ये दिया गया कि उनके खिलाफ अनुशासनहीनता के आरोप लगा कर 4 रेड इंक एंट्री की गई है. हैरत की बात ये थी कि ये सारी रेड एंट्री 7 जून 1993 और 3 मई 1994 के बीच यानि सिर्फ 11 महीने के बीच दर्ज की गई थी.

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आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल से राहत नहीं मिली
लांसदफेदार नारायण सिंह ने इंसाफ के लिए आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल का रुख किया. लेकिन फैसला उनके हक़ में नहीं आया. उन्होंने फैसले के खिलाफ पुर्नविचार की मांग भी ट्रिब्यूनल से की लेकिन उसे भी ठुकरा दिया गया. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की. उनके वकील ने आरोप लगाया कि नारायण सिंह को नौकरी से हटाए जाने के पीछे एकमात्र वजह चार रेड एंट्री को बताया गया है. उनकी 13 साल की सेवा में कभी कोई कमी नहीं पाई गई और चारों रेड इंक एंट्रीज़ सिर्फ 11 महीने के भीतर दर्ज की गई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने ने अपने एक कप्तान के उल्टे-सीधे आदेश मानने से इंकार कर दिया था. हालांकि एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ने केएम नटराज ने विरोध करते हुए कहा कि सेना में अनुशासन को कायम रखने के लिए सेना के नियमों के मुताबिक उन्हें हटाया गया है.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दलीलों सुनने के बाद उन रेड एंट्री पर गौर किया, जिनका हवाला देकर उसे नौकरी से हटाया गया था. इन रेड एंट्री में से एक थी कि नारायण सिंह को जब खाना खाने का आदेश दिया गया तो उसने खाना खाने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में माना की जिस तरह के आरोप में ये सभी रेड एंट्री की गई है, उनके चलते नौकरी से नहीं हटाया जाना चाहिए था. 17 महीने नौकरी से हटाए जाने के चलते उसे पेंशन भी नहीं मिल पाई. कोर्ट ने नौकरी से हटाने का आदेश देने वाली अथॉरिटी को ये भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी शख्स ने अपनी ज़िंदगी का बेहतरीन वक़्त, मुश्किल हालातो में सेना में दिया है.

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बहरहाल कोर्ट ने आर्म्ड फोर्स टिब्यूनल के आदेश को रद्द कर दिया. इसके साथ ही सेना को आदेश दिया है कि नारायण सिंह को 4 महीने के अंदर पेंशन समेत सभी लाभ दिए जाएं जिनके नौकरी पर बने रहने की सूरत में वो हक़दार थे.