अयोध्या में राम मंदिर का रास्ता हुआ साफ, सुप्रीम कोर्ट ने सभी 18 पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कींं
गुरुवार को बंद चैंबर में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 18 अर्जियों पर सुनवाई की और सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं. इस मामले में 9 याचिकाएं पक्षकार की ओर से, जबकि 9 अन्य याचिकाकर्ता की ओर से लगाई गई थी.
highlights
- सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने बंद कमरे में विचार-विमर्श बाद लिया फैसला.
- इसके तहत अयोध्या फैसले के खिलाफ दायर सभी 18 पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कीं.
- शीर्ष अदालत ने अयोध्या जमीन विवाद मामले में नौ नवंबर को अपना फैसला सुनाया था.
New Delhi:
कानूनविद् पहले ही संकेत दे चुके थे कि अयोध्या मसले पर दायर होने वाली पुनर्विचार याचिकाएं सिरे से खारिज होंगी. इसकी एक बड़ी वजह यही बताई जा रही थी कि अयोध्या मसले पर फैसला सर्वसम्मति से आया था. ऐसे में उसके खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं खारिज ही होंगी. हुआ भी यही और गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय खंडपीठ बंद कमरे में बैठी और आपसी विचार-विमर्श के बाद सभी 18 याचिकाएं खारिज कर दीं. चूंकि ये रिप्रेजेंटेटिव सूट यानी प्रतिनिधियों के जरिए लड़ा जाने वाला मुकदमा है, लिहाजा सिविल यानी दीवानी मामलों की संहिता सीपीसी के तहत पक्षकारों के अलावा भी कोई पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है.
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बंद कमरे में पुनर्विचार याचिकाएं हुईं खारिज
इसके पहले गुरुवार को बंद चैंबर में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 18 अर्जियों पर सुनवाई की और सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं. इस मामले में 9 याचिकाएं पक्षकार की ओर से, जबकि 9 अन्य याचिकाकर्ता की ओर से लगाई गई थी. इन याचिकाओं की मेरिट पर भी विचार किया गया. इससे पहले निर्मोही अखाड़े ने भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया. निर्मोही अखाड़े ने अपनी याचिका में कहा कि फैसले के एक महीने बाद भी राम मंदिर ट्रस्ट में उनकी भूमिका तय नहीं हुई है. कोर्ट इस मामलें में स्पष्ट आदेश दे, लेकिन अब उनकी याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं.
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पहले ही तय था यही होगा हश्र
पुनर्विचार याचिका खारिज करने वाली सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ में चीफ जस्टिस एसए बोबडे के साथ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना ने सुनवाई की. इस पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना नया चेहरा थे. पहले बेंच की अगुवाई करने वाले तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर हो चुके हैं. ऐसे में संजीव खन्ना ने उनकी जगह ली है. शीर्ष अदालत ने अयोध्या जमीन विवाद मामले में नौ नवंबर को अपना फैसला सुनाया था. अदालत ने पूरी 2.77 एकड़ विवादित जमीन रामलला को यानी राम मंदिर बनाने के लिए देने का फैसला किया था. इसके साथ ही सर्वसम्मति से केंद्र को यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ का भूखंड आवंटित करने का भी निर्देश दिया था.
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