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अयोध्या विवाद: हिंदू पक्षकार मध्यस्थता को लेकर सहमत नहीं, SC ने पैनल से रिपोर्ट तलब की

पैनल की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद अगर कोर्ट को लगेगा कि मध्यस्थता प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं हो रही है, तो अदालत 25 जुलाई से हर रोज सुनवाई कर सकती है.

Updated on: 11 Jul 2019, 03:09 PM

नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद को सुलझाने के लिए गठित मध्यस्थता पैनल से प्रकिया की प्रगति के बारे में रिपोर्ट तलब की है. पैनल को 18 जुलाई तक रिपोर्ट कोर्ट में देनी है. कोर्ट 18 जुलाई को अगली सुनवाई करेगा. पैनल की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद अगर कोर्ट को लगेगा कि मध्यस्थता प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं हो रही है, तो अदालत 25 जुलाई से हर रोज सुनवाई कर सकती है.

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कोर्ट में दायर अर्जी में मांग
सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई इस मामले में पक्षकार रहे गोपाल सिंह विशारद के बेटे राजेन्द्र सिंह की अर्जी पर होनी थी. राजेन्द्र सिंह का कहना था कि उनके पिता ने 70 साल पहले अर्जी दायर की थी. उनका देहांत हो चुका है, अब उनकी उम्र 80 साल हो चुकी है. मध्यस्थता प्रकिया से कुछ हासिल नहीं हो रहा है. कोर्ट जल्द सुनवाई की तारीख तय करे. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर की बेंच के सामने सुनवाई हुई.

कोर्ट में किसने क्या बोला?
सुनवाई शुरू होते ही राजेंद्र सिंह विशारद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील के परासरन ने कहा कि मध्यस्थता प्रकिया में कोई ख़ास प्रगति नही हुई है और कोर्ट जल्द सुनवाई की तारीख दे. मुस्लिम पक्षकारों की ओर से राजीव धवन ने इस मांग का विरोध किया. राजीव धवन ने कहा कि ये वक़्त मध्यस्थता पैनल की आलोचना का नहीं है. सिर्फ इसलिये कि एक पक्ष मध्यस्थता प्रकिया को लेकर निराश है, उसके चलते मध्यस्थता को लेकर कोर्ट के आदेश की अवहेलना नहीं जा सकती. धवन ने ये भी कहा कि अगर कोर्ट चाहे तो मध्यस्थता प्रकिया को जब चाहे रोक सकता है, लेकिन इसके बन्द करने के लिए किसी पक्ष का कोर्ट में अर्जी दायर करना ठीक नहीं है. इसके बाद हिन्दू पक्षकार की ओर से रंजीत कुमार ने कहा कि मध्यस्थता प्रकिया से कुछ हासिल होते नज़र नहीं आ रहा है. कोर्ट इस मामले में सुनवाई की तारीख दे. निर्मोही अखाड़े की राय भी यही थी. उनकी ओर से पेश वकील सुशील जैन ने कहा कि जिस तरह से कमिटी काम कर रही है, उससे मामले का समाधान निकलने की उम्मीद नहीं.

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पहले 15 अगस्त तक का समय दिया था
पिछले साल 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी बातचीत के जरिए अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एफ एम आई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में मध्यस्थता पैनल गठित किया था. पैनल में उनके अलावा वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू और धर्म गुरु श्रीश्री रविशंकर शामिल थे. इसके बाद पैनल की सिफारिश पर कोर्ट ने मध्यस्थता प्रकिया की समयसीमा 15 अगस्त तक बढ़ा दी थी.

अब आगे क्या होगा
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक 18 जुलाई तक मध्यस्थता पैनल को रिपोर्ट देनी है. इस रिपोर्ट से साफ होगा कि मध्यस्थता प्रकिया का अभी तक क्या नतीजा निकला है और क्या पैनल प्रकिया को आगे बढ़ाने का पक्षधर है या नहीं. अगर कमेटी के अध्यक्ष मध्यस्थता प्रकिया को बंद करने को सही मानेंगे तो कोर्ट 25 जुलाई से सुनवाई करेगा.
इसी बीच एक पेंच दस्तावेजों के अनुवाद को लेकर विवाद को लेकर भी फंसा है. पक्षकारों को यूपी सरकार की ओर से पेश किए गए अनुवाद की तथ्यपरकता को लेकर रिपोर्ट देनी है. सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों को उस पर भी तेज़ी से काम करने को कहा है.