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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र की आपत्ति खारिज कर जस्टिस बोस और बोपन्ना की सिफारिश फिर भेजी

कॉलेजियम ने कहा है कि वरिष्ठता पर मेरिट को तरजीह दी जानी चाहिए. सरकार ने वरिष्ठता का हवाला देकर सिफारिश पर फिर से विचार करने को कहा था.

Updated on: 09 May 2019, 12:23 PM

highlights

  • कॉलेजियम ने कहा है कि वरिष्ठता पर मेरिट को तरजीह दी जानी चाहिए.
  • इसके पहले कॉलेजियम ने कहा है कि वरिष्ठता पर मेरिट को तरजीह दी जानी चाहिए.
  • सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के 31 पद स्वीकृत हैं. फिलहाल न्यायालय में 27 न्यायाधीश हैं.

नई दिल्ली.:

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र सरकार की आपत्तियों को खारिज कर जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस एएस बोपन्ना की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की लेकर सिफारिश एक बार फिर केंद्र सरकार के पास भेजी है. कॉलेजियम ने कहा है कि वरिष्ठता पर मेरिट को तरजीह दी जानी चाहिए. सरकार ने वरिष्ठता का हवाला देकर जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस एएस बोपन्ना की सिफारिश पर कॉलेजियम को फिर से विचार करने को कहा था.

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स्वीकृत पद 31 पद पर 27 न्यायाधीश
इसके साथ ही कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई और हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सूर्यकांत को सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्त करने की सिफारिश भी केंद्र को भेजी है. कॉलेजियम ने 12 अप्रैल को झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अनिरुद्ध बोस और गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एएस बोपन्ना को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश की थी. सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के 31 पद स्वीकृत हैं. फिलहाल न्यायालय में 27 न्यायाधीश हैं.

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वरिष्ठता क्रम में न्यायाधीश बोस का 12वां नंबर
न्यायमूर्ति बोस न्यायाधीशों की अखिल भारतीय वरिष्ठता के क्रम में 12वें नंबर पर हैं. उनका मूल उच्च न्यायालय कलकत्ता उच्च न्यायालय रहा है. न्यायमूर्ति बोपन्ना वरिष्ठता क्रम में 36वें नंबर पर हैं. पिछले साल जब न्यायमूर्ति बोस के नाम की सिफारिश दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद के लिए की गयी थी तब भी सरकार ने उनका नाम लौटा दिया था.