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अयोध्या फैसले पर AIMPLB उग्रवादी बन रहा, ओवैसी खेल रहे खतरनाक खेलः सुब्रमण्यम स्वामी

केरल में जो संगठन आईएसआईएस से जुड़ा हुआ है वह बड़े विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहा है. उसी तरह उग्रपंथी विचारधारा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में भी नजर आती है.

Updated on: 18 Nov 2019, 11:21 AM

highlights

  • अयोध्या फैसले के खिलाफ उठ रही आवाजों को खतरनाक बताया.
  • ओवैसी को खतरनाक खेल खेलने का आरोप लगाया स्वामी ने.
  • जेएनयू को दो साल के लिए बंद करने की मांग फिर दोहराई.

New Delhi:

बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अब हो रही राजनीति को खतरनाक खेल करार दिया है. उनका सीधा-सीधा आरोप है कि आईएसआईएस से जुड़ाव और सहानुभूति रखने वाले संगठन सुप्रीम फैसले के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर देश का माहौल खराब करना चाहते हैं. इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय पर निशाना साधते हुए सरकार से कहा है कि उसे दो साल के लिए बंद कर देना चाहिए. अयोध्या समेत जेएनयू पर उन्होंने न्यूज नेशन से खुलकर बात की. पेश है उसके मुख्य अंश.

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आईएसआईएस की तरह उग्रवादी बन रहा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
केरल में जो संगठन आईएसआईएस से जुड़ा हुआ है वह बड़े विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहा है. उसी तरह उग्रपंथी विचारधारा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में भी नजर आती है. इसी वजह से उन्होंने अयोध्या पर सर्वोच्च न्यायालय के सर्व सहमति के फैसले पर भी पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय किया है, जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड खुद इससे असहमत है.

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खतरनाक खेल खेल रहे हैं ओवैसी
अयोध्या फैसले पर एआईएमआईएम प्रमुख असुदद्दीन ओवैसी के बयानों पर स्वामी ने कहा, ओवैसी की विचारधारा आईएसआईएस से जुड़ी हुई या उग्रवादी कतई नहीं है, लेकिन वह बहुत खतरनाक खेल खेल रहे हैं. जब 99% मुसलमान राम मंदिर पर सहमति बना चुके हैं, तब वह चाहते हैं कि देश का माहौल खराब हो जाए.

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जेएनयू कैंपस 2 साल बंद कर अर्ध सैनिक बलों की तैनाती हो
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कांग्रेस वामपंथी विचारधारा से मिलकर काम करती है. मुझे लगता है कि केंद्र सरकार को जेएनयू 2 साल के लिए बंद कर देना चाहिए. उसके बाद वहां अर्ध सैनिक बलों की तैनाती और विश्वविद्यालय के अंदर थाना बनाना चाहिए. जो अच्छे छात्र हैं उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय में ट्रांसफर कर देना चाहिए. इसके बाद ही जेएनयू के हालात बदल सकते हैं.

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राष्ट्रवादी बिलों पर भी शिवसेना नहीं देगी समर्थन
महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के क्रम में जारी गतिरोध और उभऱते नए समीकरणों पर उन्होंने कहा, भले ही शिवसेना और बीजेपी दोनों की विचारधारा राष्ट्रवादी हो, लेकिन इस बार संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान शिवसेना का समर्थन एनआरसी जैसे विधेयक पर भी मिलना असंभव है. उनका नया-नया गठबंधन हुआ है, इसलिए वह एनसीपी और कांग्रेस को खुश करने के लिए यह काम करेंगे.