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'आप छात्र हैं, इसलिए आपको हिंसा-उपद्रव करने का अधिकार नहीं मिल जाता', जामिया-एएमयू बवाल पर बोले CJI

सुप्रीम कोर्ट की वरिष्‍ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष जामिया मिलिया इस्‍लामिया विश्‍वविद्यालय और एएमयू का मामला उठाया.

Updated on: 16 Dec 2019, 11:15 AM

नई दिल्‍ली:

नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act 2019) पर देश भर में आंदोलन की आंच और दिल्‍ली (Delhi) के जामियानगर (Jamia Nagar) में हुई हिंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट की वरिष्‍ठ वकील इंदिरा जय सिंह (Indira Jai Singh) ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे (CJI SA Bobde) की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष जामिया मिलिया इस्‍लामिया विश्‍वविद्यालय (Jamia Milia Islamia University) और एएमयू (AMU) का मामला उठाया. वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि वह इस मुद्दे पर संज्ञान ले. जय सिंह ने कहा, देश भर में इस तरह गंभीर तरीके से मानवाधिकारों (Human Rights) का उल्लंघन हो रहा है. इस मामले को सुनते हुए सीजेआई एसए बोबडे बोले, 'हम अधिकारों का निर्धारण करेंगे, लेकिन दंगों के माहौल में नहीं. सबसे पहले दंगों को रोका जाना चाहिए और फिर हम इस पर संज्ञान लेंगे. हम अधिकारों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ नहीं हैं.'

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चीफ जस्टिस ने कहा, सार्वजनिक सम्पत्ति का नुकसान हुआ है. ये अहमियत नहीं रखता कि किसने किया है. हम इस पर विचार करेंगे और देखेंगे कि क्या किया जा सकता है, लेकिन इस तरह सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुंचाना बन्द होना चाहिए. कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई के लिए सहमति जताई. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को चेतावनी दी कि अगर सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुचाना जारी रहा तो कोर्ट मामले को नहीं सुनेगा. 

चीफ जस्टिस एस. ए. बोबड़े ने यह भी कहा, हम किसी को आरोपी नहीं बता रहे. बस यह कह रहे हैं कि हिंसा रुकनी चाहिए. हम ये भी नहीं कह रहे हैं कि पुलिस या छात्र निर्दोष हैं. CJI ने कहा कि आप छात्र हैं इसलिए आपको हिंसा का अधिकार नहीं मिल जाता है. अगर हिंसा नहीं रुकी तो वह इस मामले में सुनवाई नहीं करेंगे.

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चीफ जस्टिस एसए बोवडे ने कहा, कल मंगलवार को इस मामले की सुनवाई होगी. उससे पहले हम चेतावनी देते हैं कि अगर प्रदर्शन, हिंसा और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जाता है तो हम सुनवाई नहीं करेंगे. याचिकाकर्ता की रिटायर जजों की जांच कमेटी बनाने की मांग पर भी सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को ही सुनवाई करेगा.