logo-image

तीन तलाक पर सपा सांसद के बिगड़े बोले, कहा-पत्नी को गोली मारने से बेहतर है तलाक दे निकालना

समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने तीन तलाक पर बेहद ही शर्मनाक बयान दे दिया. उन्होंने यही कहा कि किसी भी मजहब के मामले में सरकार को दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए.

Updated on: 25 Jul 2019, 02:06 PM

highlights

  • सपा सांसद एसटी हसन ने तीन तलाक पर दिया शर्मनाक बयान.
  • मजहब के मामले में सरकार की दखलंदाजी को भी बताया गलत.
  • एक फिरके के लोग ही देते हैं तीन तलाक एक साथ.

नई दिल्ली.:

ट्रिपल तलाक पर लोकसभा में बहस शुरू हो चुकी है. केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद के बाद बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने लोकसभा में तीन तलाक बिल पर जोरदार पैरवी की. इस बीच लोकसभा से बाहर समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने तीन तलाक पर बेहद ही शर्मनाक बयान दे दिया. पहले तो उन्होंने यही कहा कि किसी भी मजहब के मामले में सरकार को दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए. यह निजता के अधिकार से जुड़ा मसला है. दूसरे कलह का शिकार बने घर में बीवी को गोली मारने से बेहतर तीन तलाक देकर रुखसत कर देना है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने तीसरी बार लोकसभा में ट्रिपल तलाक बिल पेश किया है. यहां पारित होने के बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा.

यह भी पढ़ेंः Triple talaq Bill LIVE Update : अगर कोई महिला सती होना चाहती है तो क्‍या हम उसे नहीं रोकेंगे: लेखीतलाक के अजीबोगरीब कारण

तीन तलाक गोली मारने से तो अच्छा
लोकसभा में तीन तलाक बिल पर लोकसभा में गुरुवार को बहस शुरू हुई. इससे इतर सपा सांसद एसटी हसन ने लोकसभा के बाहर एक अनर्गल बयान दे दिया. उन्होंने कहा, 'कभी-कभी ऐसे हालात होते हैं कि अलग होना ही रास्ता बचता है. ऐसे में गोली मारने से बेहतर है कि तीन तलाक देकर महिला को निकाल दिया जाए.' इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ हजरत अबू हनीफा को मानने वाले फिरके के लोग ही एक साथ तीन तलाक लेते हैं. यह लड़की वालों पर ही छोड़ दिया जाए कि अबू हनीफा को मानने वालों के यहां शादी करें या नहीं.

यह भी पढ़ेंः नए ऊर्जा सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने ट्रांसफर होते ही VRS के लिए आवेदन किया

सजा में अंतर पर जताया विरोध
मुस्लिम महिलाओं के लिए सामाजिक बदलाव और उनके अधिकार की रक्षा के सवाल पर एसटी हसन ने कहा, 'इस्लाम में महिलाओं के साथ सामाजिक बराबरी का अधिकार है. वह जब चाहें अपने पति से खुला ले सकती हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलाव करना और शरीयत में बदलाव करना गलत है. यदि आप किसी पुरुष को तीन तलाक पर तीन साल की सजा देते हैं तो फिर वह परिवार को गुजारा भत्ता कैसे देगा. क्या यह गलत नहीं है? यदि हिंदू और ईसाई पुरुषों को ऐसे मामले में महज एक साल की ही सजा है तो फिर मुस्लिमों को तीन वर्ष की सजा क्यों?'

यह भी पढ़ेंः 

कश्मीर में लेफ्टिनेंट कर्नल का पद संभालेंगे महेंद्र सिंह धोनी, जवानों के साथ करेंगे ये काम

फिल्म कलाकारों के बताया था तवायफ
वैसे एसटी हसन के बेतुके और शर्मनाक बयानों का यह कोई पहला मसला नहीं है. इसके पहले फिल्म अभिनेत्री जायरा वसीम को लेकर भी बेहद आपत्तिजनक बयान दे चुके हैं. उन्होंने फिल्म अभिनेत्रियों की तुलना तवायफों से की थी. उन्होंने कहा था, 'पहले नवाबों के मनोरंजन के लिए तवायफ मुजरा किया करती थीं. इसमें गलत भी क्या है. अब यदि तवायफ शब्द संविधान की मूल भावना के खिलाफ है, तो अब आप उनके लिए कलाकार शब्द का प्रयोग कर सकते हैं.'