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Sonia Gandhi Effect : कांग्रेस में फीकी होती जा रही है टीम राहुल गांधी की चमक

लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद तत्‍कालीन कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. राहुल के इस्तीफे के बाद से ही पार्टी के अंदर हालात ये रहे कि कभी राहुल के पसंद रहे या यूं कहें कि टीम राहुल का हिस्सा रहे नेता या तो पार्टी छोड़ गए या हाशिए पर चले गए हैं.

Updated on: 19 Sep 2019, 04:20 PM

नई दिल्‍ली:

झारखंड के तेजतर्रार IPS अफसर रहे और पूर्व सांसद अजॉय कुमार को जब झारखंड की कमान दी जा रही थी, तब प्रदेश के तमाम बड़े नेता इस बात से नाराज़ थे. उन नेताओं को इस बात का मलाल था कि जो झारखंड का है ही नहीं और कुछ ही दिन पहले पार्टी में शामिल हुआ है, उसे सिर्फ राहुल गांधी की जिद के चलते प्रदेश की कमान सौंपी गई थी. वहीं अजॉय कुमार आज कांग्रेस को झटका देते हुए आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. अजॉय कुमार ने कुछ दिनों पहले ही झारखंड प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था. वहां पुराने कांग्रेसी दिग्‍गज सुबोध कांत सहाय से उनका छत्‍तीस का आंकड़ा चल रहा था. अंतत: उन्‍हें इस्‍तीफा देना पड़ा था. यह बस एक उदाहरण है कि राहुल गांधी के अध्‍यक्ष पद से हटने के बाद से कैसे उनके कैंप के नेताओं को तरजीह मिलनी बंद हो गई है. 

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लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद तत्‍कालीन कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. राहुल के इस्तीफे के बाद से ही पार्टी के अंदर हालात ये रहे कि कभी राहुल के पसंद रहे या यूं कहें कि टीम राहुल का हिस्सा रहे नेता या तो पार्टी छोड़ गए या हाशिए पर चले गए हैं.

अमेठी से आने वाले संजय सिंह जिन्हें राहुल-प्रियंका का करीबी माना जाता था, उन्होंने भी पार्टी से किनारा कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. कांग्रेस की प्रवक्ता रहीं प्रियंका चतुर्वेदी शिवसेना में चली गईं. प्रियंका चतुर्वेदी मुंबई से चुनाव लडना चाहती थीं, लेकिन पार्टी में उनकी बात नहीं सुनी गई और प्रियंका की जगह उर्मिला मातोंडकर को पार्टी में शामिल करा उनको टिकट दे दिया गया, जिससे प्रियंका नाराज़ चल रही थीं.

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दूसरी ओर, कांग्रेस की विचारधारा को अपनी विचारधारा बताने वाली उर्मिला मातोंडकर ने भी अपनी विचारधारा बदलने में देर नहीं की. महाराष्ट्र से पार्टी के उत्तर भारत के बड़े चेहरे रहे कृपाशंकर सिंह जो प्रियंका गांधी के भी काफी करीबी माने जाते थे, उन्होंने भी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले स्थिति को भांपते हुए कांग्रेस से किनारा कर लिया था.

नवजोत सिंह सिद्धू जिन्हें राहुल गांधी ने पार्टी में शामिल करवाया था, ने अपने मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था. अशोक चौधरी जिन्हें राहुल के कारण ही बिहार की कमान दी गई थी, उन्होंने नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड का दामन थाम लिया था.

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इन नेताओं के अलावा ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, संजय निरुपम, अजय माकन, अशोक तंवर, प्रताप सिंह बाजवा जैसे नेता जिनके बारे में कहा जाता था कि ये पार्टी में सिर्फ राहुल गांधी की वजह से ही हैं. सोनिया गांधी की टीम में अब तक कोई स्‍थान इन नेताओं को नहीं मिला है. सोनिया गांधी के दुबारा अध्यक्ष बनने के बाद राहुल की पसंद के नेता की पार्टी में हैसियत कम होती चली जा रही है.