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अधीर रंजन चौधरी की गलती से सोनिया गांधी नाराज, मनीष तिवारी से खुश

इसी के साथ बताया ये भी बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी से काफी खुश हैं. उन्होंने मनीष तिवारी की तारीफ की है

Updated on: 06 Aug 2019, 02:38 PM

नई दिल्‍ली:

लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पूनर्गठन बिल 2019 पर चर्चा जारी है. इस बीच बताया जा रहा है कि यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी अधीर रंजन चौधरी से नाराज हैं. इतना ही उन्होंने अपनी नाराजगी अधीर रंजन तक भी पहुंचाई है. जानकारी के मुताबिक सोनिया गांधी की नाराजगी का कारण मंगलवार को अधीर रंजन चौधरी का लोकसभा में दिया गया भाषण है. दरअसल अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पूनर्गठन बिल 2019 का विरोध करते हुए कहा था कि जम्‍मू-कश्‍मीर भारत का अंदरूनी मसला कैसे हो सकता है क्योंकि यह तो यूनाइटेड नेशन में पेंडिंग है. इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने अधीर रंजन चौधरी को घेरते हुए उन्हें अपना बयान दोहराने के लिए कहा. 

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बताया जा रहा है कि सोनया गांधी, अधीर रंजन चौधरी के इसी बयान से नाराज हैं. इसी के साथ बताया ये भी बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी से काफी खुश हैं. उन्होंने मनीष तिवारी की तारीफ की है. उन्होंने कहा, लोकसभा में मनीष तिवारी का पक्ष सही था. उन्होंने सही तरीके से पार्टी का पक्ष रखा.

क्या था मनीष तिवारी का पक्ष

मनीष तिवारी ने लोकसभा में कहा, जम्‍मू-कश्‍मीर का भारत में किसी ने विलय किया था, तो वो जवाहरलाल नेहरू की सरकार थी, जिन्‍होंने जम्‍मू-कश्‍मीर को भारत का अभिन्‍न अंग बनाया.उन्होंने कहा, संविधान की धारा 3 के अनुसार, किसी भी राज्‍य की बाउंड्री से छेड़छाड़ से पहले यह जरूरी है कि उस राज्‍य से परामर्श जरूरी है. अब जम्‍मू-कश्‍मीर में विधानसभा है नहीं और संसद से कहा जा रहा है कि खुद से राय-मशविरा कर लें. 

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मनीष तिवारी ने आगे सवाल उठाते हुए कहा,  जम्‍मू-कश्‍मीर पर संसद कैसे खुद फैसला ले सकती है, जब वहां की विधानसभा भंग है. आज आप धारा 370 समाप्‍त कर रहे हैं तो पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों को क्‍या संदेश भेज रहे हैं, कल क्‍या सरकार 371 को भी समाप्‍त किया जाएगा. उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान है, जो 26 जनवरी 1957 को लागू हुआ था. अब उस संविधान का क्‍या होगा, क्‍या उसे खारिज करने के लिए विधेयक लाया जाएगा. मनीष तिवारी ने साथ में ये बी कहा कि, जो आज सदन में हो रहा है वो संवैधानिक त्रासदी है