ये रहे हैं महाराष्ट्र के सबसे पढ़े-लिखे मंत्री, इनके पास थीं 22 डिग्रियां
डॉ श्रीकांत जिचकर को भारत का सबसे पढ़ा लिखा शख्स माना जाता है. करियर की शुरुआत उन्होंने एक MBBS डॉक्टर के रूप में शुरु की. नागपुर से उन्होंने एमडी की.
नई दिल्ली:
डॉ श्रीकांत जिचकर को भारत का सबसे पढ़ा लिखा शख्स माना जाता है. करियर की शुरुआत उन्होंने एक MBBS डॉक्टर के रूप में शुरु की. नागपुर से उन्होंने एमडी की. उनके पास 20 से भी ज्यादा डिग्रियां थीं. पहले वह आईपीएस बने. दूसरे टेस्ट में वह आईएएस बने. दोनों ही बार में उन्होंने शानदार नौकरियों को ठुकरा दिया. 1978 में इंडियन सिविल सर्विसेज एग्जाम को उन्होंने पास किया. उस वक्त उनका सेलेक्शन आईपीएस यानी इंडियन पुलिस सर्विस के लिए हुआ. फिर से उन्होंने सिविल सेवा का एग्जाम दिया.
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इस बार उनका चयन एक आईएएस के रूप में हुआ. चार महीने के बाद ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने ऐसा किया. 1980 में उन्होंने महाराष्ट्र से विधानसभा का चुनाव लड़ा. जिसमें वह विजयी हुए. 26 साल की उम्र में वह उस समय देश के सबसे युवा विधायक बने.
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श्रीकांत की अन्य डिग्रियों और अन्य पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने LLM यानी इंटरनेशनल लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने मास्टर्स इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन किया. बात यहीं तक नहीं रही बल्कि उन्होंने पत्रकारिता की भी पढ़ाई की. इसके लिए उन्होंने बेचलर ऑफ जर्नलिज्म की डिग्री हासिल की.
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फिर संस्कृत में डॉक्टर ऑफ लिटरेचर हासिल किया. जो किसी भी विश्वविद्यालय में सबसे उच्च डिग्री होती है. उन्होंने समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, इतिहास, अंग्रेजी साहित्य, दर्शन शास्त्र, राजनीति विज्ञान, प्राचीन भारतीय इतिहास, पुरातत्व और मनोविज्ञान में भी एमए किया था. गौरतलब बात ये भी है कि उन्होंने सारी डिग्रियां मैरिट में रहकर पाई.
पढ़ाई के दौरान उन्हें कई बार गोल्ड मेडल मिला. 1973 से लेकर 1990 तक उन्होंने 42 यूनिवर्सिटी एग्जाम दिए. एक समय श्रीकांत महाराष्ट्र के सबसे ताकतवर मंत्रियों में से गिने जाते थे. उनके पास 14 विभाग थे. 1982 से 85 तक काम किया. 1986 में वो महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य बने. यहां वह 1992 तक रहे. 1992 से 1998 के बीच वह राज्यसभा के सांसद रहे.
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1999 में डॉ जिचकर राज्यसभा का चुनाव हार गए. जिसके बाद उन्होंने अपना सारा फोकस यात्राओं पर लगाया. वह देश के कई हिस्सों में जाकर स्वास्थ्य, शिक्षा और धर्म के बारे में भाषण दिया. उन्होंने यूनेस्कों में भारत का प्रतिनिधित्व किया. श्रीकांत के पास देश की सबसे बड़ी पर्सनल लाइब्रेरी थी. जिसमें 5200 से ज्यादा किताबें थी.
2 जून 2004 की रात श्रीकांत कार से अपने दोस्त के फॉर्म से अपने घर जा रहा थे. वह गाड़ी खुद चला रहे थे. रास्ते में उनकी कार एक बस से टकरा गई. इसी सड़क हादसे में 49 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.
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