मायावती-अखिलेश के गठबंधन पर बोले चाचा शिवपाल, हमारे बिना अधूरा है 'साथ'
2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बहुजन समाज पार्टी (BSP) और समाजवादी पार्टी (SP) गठबंधन को लेकर अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल ने कहा है कि उनकी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के बिना यह गठबंधन अधूरा है.
नई दिल्ली:
2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बहुजन समाज पार्टी (BSP) और समाजवादी पार्टी (SP) गठबंधन को लेकर अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल ने कहा है कि उनकी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के बिना यह गठबंधन अधूरा है. उन्होंने कहा है कि केवल धर्म निरपेक्ष पार्टियां ही 2019 लोकसभा चुनाव में BJP को हरा सकती है. तो क्या यह माना जाए कि 2017 विधानसभा चुनाव से शुरू हुआ पारिवारिक कलह लोकसभा चुनाव तक ख़त्म हो सकता है. पहले यह केवल चुनावी कयास हो सकता था लेकिन चाचा शिवपाल का ताज़ा बयान तो इसी तरफ इशारा करता है.
बता दें कि शनिवार दोपहर बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में गठबंधन का ऐलान किया. दोनों ही दल राज्य की 80 संसदीय सीटों में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.
जिसके बाद शनिवार को मीडिया से बात करते हुए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मुखिया शिवपाल यादव ने कहा, 'यह गठबंधन प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बिना अधूरा है, केवल धर्मनिरपेक्ष पार्टियां ही BJP को हरा सकती है.'
हालांकि समाजवादी के संस्थापक सदस्यों में से एक शिवपाल ने फिलहाल पुराने 'घर' (SP) में लौटने की सभी सम्भावनाओं को ख़ारिज़ कर दिया है. शिवपाल ने कहा, 'प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का SP में विलय करने या मेरी SP में वापसी का कोई सवाल ही नहीं उठता. हालांकि मैं BJP जैसी साम्प्रदायिक शक्ति को सत्ता से दूर रखने के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों से गठबंधन करने को तैयार हूं. मगर वह भी तब होगा, जब हमें सम्मानजनक संख्या में सीटें मिलेंगी.'
इससे पहले बहुजन समाजवादी प्रमुख मायावती ने अखिलेश यादव के साथ प्रेस कॉफ्रेंस करते हुए सीधे तौर पर शिवपाल यादव पर BJP के साथ होने का आरोप लगाया था. जिसके जवाब में गतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) प्रमुख शिवपाल यादव ने कहा, 'यह आरोप पूर्णतयः तथ्यहीन और बेबुनियाद है. दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों का वोट लेकर BJP की गोद में बैठ जाने वाले मुझ पर BJP से मिले होने का आरोप लगा रहे हैं. आम जनमानस और मीडिया को यह पता है कि उत्तर प्रदेश में BJP के साथ मिलकर बार-बार किसने सरकार बनाई है, साथ ही उन्हें यह भी बताने की जरूरत नहीं है कि आदरणीय शिवपाल यादव जी का साम्प्रदायिक शक्तियों के खिलाफ पिछले 4 दशकों का संघर्ष किसी भी संदेह से परे है.'
उन्होंने कहा, 'यह भी दुखद है कि आर्थिक भ्रष्टाचार में लिप्त और अपनी पार्टी का टिकट बेचने वाले मुझ पर BJP से आर्थिक सहयोग प्राप्त होने का आरोप लगा रहे हैं. समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को समझना चाहिए कि इसके पूर्व भी मायावती पिछड़ो, दलितों और मुसलमानों का वोट लेकर BJP की गोद में बैठ चुकी हैं ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि इतिहास फिर से स्वयं को दोहराए और मायावती चुनाव के बाद BJP से जा मिलें. ये भी सबको पता है की राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन न कर BJP को लाभ किसने पहुंचाया.'
वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस गठबंधन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अस्तित्व बचाने की आतुरता में किया गया प्रयास बताया है. BJP की राष्ट्रीय परिषद के दूसरे दिन संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'BSP और SP का गठबंधन उनके अस्तित्व के लिए है. यह देश या उत्तर प्रदेश की भलाई के लिए नहीं है.'
हालांकि ममता बनर्जी, तेजस्वी और कांग्रेस समेत ज़्यादातर विपक्षी पार्टियों ने इसका स्वागत किया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, 'लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किए गए SP-BSP गठबंधन का मैं स्वागत करती हूं. चलो जश्न मनाते हैं 'भारत के विचार' का स्वागत करते हैं जिसके लिए हमारे स्वतंत्रा सेनानियों ने अपना प्राण न्योछावर कर दिए. हमारे लोग और हमारी संस्थाओं को 'आज़ादी' शब्द के असल मायने को बनाए रखने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए.'
वहीं RJD नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, 'बिहार और उत्तर प्रदेश से आगामी लोकसभा चुनाव में BJP की हार शुरू हो चुकी है.'
वहीं कांग्रेस की तरफ से मध्य प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, 'आज पूरे देश में गठबंधन की जरूरत है. 2014 लोकसभा चुनाव में BJP को सिर्फ 31 प्रतिशत वोट मिले.'
और पढ़ें- आम चुनाव : 38-38 सीटों पर लड़ेंगी सपा-बसपा
बता दें कि यह सारे बयान BSP प्रमुख मायावती और SP प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा लखनऊ में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की घोषणा के बाद आई है. गठबंधन के अनुसार, दोनों दल उत्तर प्रदेश की कुल 80 सीटों में 38-38 सीटों पर लड़ेंगे. गठबंधन से बाहर रखी गई कांग्रेस के लिए दो सीटें -राय बरेली और अमेठी- छोड़ दी गईं हैं.
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