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Shivaji Jayanti 19 Feb:शिवाजी महाराज ने अपनी वीरता और पराक्रम से मुगलों को घुटने टेकने पर कर दिया था विवश

शिवाजी का विवाह 14 मई 1640 में सइबाई निंबाळकर के साथ लाल महल, पुणे में हुआ था

Updated on: 19 Feb 2020, 06:16 AM

नई दिल्ली:

Happy Shivaji Jayanti: छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम भारत के उन वीर सपूतों में शुमार है, जिन्होंने अपनी वीरता और पराक्रम के दम पर मुगलों को घुटने टेकने पर विवश कर दिया था. बहुत से लोग इन्हें 'हिन्दू हृदय सम्राट' कहते हैं, तो कुछ लोग इन्हें 'मराठा गौरव', जबकि वे भारतीय गणराज्य के महानायक थे. शिवाजी महाराज का जन्मदिन 19 फरवरी को मनाया जाता है. उनका जन्म वर्ष 1630 में हुआ था. वे भारत के एक महान राजा एवं रणनीतिकार थे, जिन्होंने 1674 ई. में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी. उन्होंने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया.

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1674 में छत्रपति बने 

सन् 1674 में रायगढ़ में उनका राज्यभिषेक हुआ और वह 'छत्रपति' बने. छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया. शिवाजी का विवाह 14 मई 1640 में सइबाई निंबाळकर के साथ लाल महल, पुणे में हुआ था. शिवाजी महाराज ने कुल 8 शादियां की थीं. उन्होंने पहली शादी सईबाई से की थी. दूसरी शादी सोयराबाई मोहिते से की थी. पुतळाबाई पालकर उनकी तीसरी पत्नी थी. गुणवन्ताबाई इंगले, सगुणाबाई शिर्के, काशीबाई जाधव, लक्ष्मीबाई विचारे और सकवारबाई गायकवाड़ से भी रचाई शादी.

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अत्याचारी किस्म के तुर्क, यवन उनके नाम सुनते ही डरते थे

छत्रपति शिवाजी महाराज बचपन में अपनी आयु के बालक इकट्ठे कर उनके नेता बनकर युद्ध करने और किले जीतने का खेल खेला करते थे. युवावस्था में आते ही उनका खेल, वास्तविक कर्म बनकर शत्रुओं पर आक्रमण कर उनके किले आदि भी जीतने लगा. शिवाजी महाराज ने पुरंदर और तोरण जैसे किलों पर अपना अधिकार जमाया था. इसके बाद उनके नाम और काम की सारे दक्षिण में धूम मच गई. अत्याचारी किस्म के तुर्क, यवन और उनके सहायक सभी शासक उनके नाम सुनते ही डरने लगे थे.

अफजल खां को मौत की नींद सुलाई थी

बीजापुर के शासक ने शिवाजी को जिंदा या मुर्दा पकड़ लाने का आदेश देकर अपने मक्कार सेनापति अफजल खां को भेजा था. उसने भाईचारे व सुलह का झूठा नाटक रचकर शिवाजी को अपनी बांहों के घेरे में दबाकर मारना चाहा, लेकिन चालाक शिवाजी ने उसे ही मौत की नींद सुला दी थी. शिवाजी की ताकत से मुगल बादशाह औरंगजेब डरे हुए थे. औरंगजेब ने दक्षिण में नियुक्त अपने सूबेदार को उन पर चढ़ाई करने का आदेश दिया, लेकिन सूबेदार को मुंह की खानी पड़ी. शिवाजी से लड़ाई के दौरान उसने अपना पुत्र खो दिया और खुद उसकी अंगुलियां कट गईं. इसके बाद औरंगजेब ने अपने सबसे प्रभावशाली सेनापति मिर्जा राजा जयसिंह के नेतृत्व में लगभग 1,00,000 सैनिकों की फौज भेजी.

शिवाजी का अत्यंत वीर सेनानायक 'मुरारजी बाजी' मारा गया

शिवाजी को कुचलने के लिए राजा जयसिंह ने बीजापुर के सुल्तान से संधि कर पुरंदर के किले को अधिकार में करने की अपने योजना के प्रथम चरण में 24 अप्रैल 1665 ई. को 'व्रजगढ़' के किले पर अधिकार कर लिया. पुरंदर के किले की रक्षा करते हुए शिवाजी का अत्यंत वीर सेनानायक 'मुरारजी बाजी' मारा गया. बताया जाता है कि शिवाजी के पास 250 किले थे, जिनकी मरम्मत पर वे बड़ी रकम खर्च करते थे. शिवाजी ने कई दुर्गों पर अधिकार किया. जिनमें से एक था सिंहगढ़ दुर्ग, जिसे जीतने के लिए उन्होंने तानाजी को भेजा था.