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शिमला में दूसरा 'अन्ना हजारे', लोकपाल और लोकायुक्त की मांग को लेकर 5 दिनों से भूख हड़ताल पर

हिमाचल प्रदेश की राजधानी में यह दूसरा 'अन्ना' पिछले पांच दिनों से लोकपाल और लोकायुक्त कानूनों को लागू कराने के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठा है।

Updated on: 30 Mar 2018, 08:18 AM

highlights

  • लोकपाल की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर
  • मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने लिखित में सुझावों को मांगा
  • 6 दिनों के बाद दिल्ली में अन्ना हजारे ने अपना अनशन तोड़ा

नई दिल्ली:

दिल्ली के रामलीला मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने गुरुवार को अपना अनशन तोड़ दिया लेकिन शिमला में एक 74 साल के व्यक्ति लोकपाल की मांग को लेकर 5 दिनों से भूख हड़ताल कर रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश की राजधानी में यह दूसरा 'अन्ना' पिछले पांच दिनों से लोकपाल और लोकायुक्त कानूनों को लागू कराने के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठा है।

भूख हड़ताल पर बैठे इस बूढ़े व्यक्ति का नाम लक्ष्मी चांद है जो रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं। उन्होंने कहा कि वह अन्ना हजारे से प्रेरित हैं और लोकपाल की लड़ाई में उनका साथ देना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, 'मैं पिछले पांच दिनों से अन्ना हजारे को समर्थन देने के लिए भूख हड़ताल पर बैठा हूं। पहले भी जब अन्ना हजारे ने ऐसा किया, मैं भी उनके समर्थन में भूख हड़ताल पर बैठता था। मैं समाज को इस मुद्दे के बारे में ज्यादा बताना चाहता हूं।'

उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि प्रधानमंत्री को लोकपाल और मुख्यमंत्रियों को लोकायुक्त कानूनों के अंदर आना चाहिए।'

हालांकि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्य में लोकायुक्त को और मजबूत करने की बात कही है और सुझावों के लिए भी हामी भर दी है।

मुख्यमंत्री ने कहा, 'हम सुझावों का इंतजार कर रहे हैं। अगर कोई भूख हड़ताल पर बैठा है उसे लिखित में सुझाव देना चाहिए और हम कानून को मजबूत करने के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे।'

बता दें कि 23 मार्च से दिल्ली के रामलीला मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे अन्ना हजारे ने गुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में मिले आश्वासन के बाद अपना अनशन तोड़ दिया।

केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त के गठन, किसानों को उनके फसलों के उचित दाम दिलाने और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू कराने की केंद्र सरकार से मांग को लेकर अन्ना एक बार फिर अनशन पर बैठे थे।

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