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थरूर फिर बोले और कहा-आज सहिष्णुता के लिए देश में कोई जगह नहीं

उन्होंने कहा कि भारत अब एक ऐसा देश बन गया है जहां या तो आप इस तरफ हैं या उस तरफ और इसके बीच सहिष्णुता के लिए कोई जगह नहीं है.

Updated on: 22 Sep 2019, 06:29 AM

highlights

  • भारत अब एक ऐसा देश बन गया है जहां या तो आप इस तरफ हैं या उस तरफ.
  • इस तरफ या उस तरफ के बीच सहिष्णुता के लिए कोई जगह नहीं है.
  • मैं अपने सच का सम्मान करूंगा और कृपया मेरे सच का सम्मान कीजिए.

नई दिल्ली:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर आजकल फिर बेबाक हो गए हैं. एक बार फिर से उनके बयान मोदी सरकार को कठघरे में खड़े करने के लिए होते हैं, लेकिन विरोध कांग्रेस का हो जाता है. इस कड़ी में उन्होंने कहा कि भारत अब एक ऐसा देश बन गया है जहां या तो आप इस तरफ हैं या उस तरफ और इसके बीच सहिष्णुता के लिए कोई जगह नहीं है. इस राजनीतिक ध्रुवीकरण के लिए सत्ताधारी दल के कृत्यों और पसंद को जिम्मेदार ठहराया. थरूर शनिवार को पुणे अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव में बोल रहे थे.

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हिंदुत्व कठोर नहीं
ट्रूली योर्स शीर्षक वाले एक सत्र में वाई आई एम ए हिंदू (मैं हिंदू क्यों हूं) पुस्तक के लेखक ने कहा कि कोई हिंदू तरीका नहीं है बल्कि यहां मेरा या उनका हिंदू तरीका है. उन्होंने कहा, 'यहां मेरा हिंदू नजरिया है, वहां हिंदूत्व का उनका नजरिया है और हर किसी का अपना हिंदूवादी तरीका है. यही जादू है क्योंकि हिंदूत्व कोई कठोर तरीका नहीं बताता है.'

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आप मेरे सच का सम्मान कीजिए
थरूर ने कहा, 'मैं राम की पूजा कर सकता हूं, मैं हनुमान चालीसा पढ़ता हूं, इसलिए मैं हिंदू हूं... लेकिन अचानक अगर कोई कहे कि मैं इनमें से कुछ नहीं करता और इसके बावजूद मैं हिंदू हूं तब वो दोनों सही हैं, और इसे बीजेपी तथा संघ परिवार नहीं समझ पाया है.' उन्होंने कहा, 'मैं मानता हूं कि मेरा एक सच है और आप मानते हैं कि आपके पास सच है... मैं अपने सच का सम्मान करूंगा और कृपया मेरे सच का सम्मान कीजिए... मेरे लिए यह हिंदुत्व की मूल भावना है.'

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स्वीकार्यता कहीं ज्यादा जरूरी
उन्होंने कहा कि सहिष्णुता से भी आगे स्वीकार्यता है. थरूर ने दावा किया कि हिंदुत्व न सिर्फ भारतीय समाज, सभ्यता और संस्कृति का आधार है बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की भी मजबूती है. थरूर ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत में राजनीति का ध्रुवीकरण हुआ है और इसके लिए खासतौर पर सत्ताधारी दल के कृत्य और पसंद जिम्मेदार हैं.