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सात दिन पहले ही तीरंदाजी में जीता था स्‍वर्ण पदक, कुएं में गिरने चली गई जान

सात दिन पहले जिस छात्रा ने तीरंदाजी में स्‍वर्ण पदक जीता था, उसकी कुएं में गिरने से जान चली गई. इस दुर्भाग्‍यपूर्ण घटना के करीब 16 घंटे बाद भी छात्रा का शव बाहर नहीं निकाला जा सका है.

Updated on: 03 Oct 2019, 02:41 PM

झुंझुनू:

सात दिन पहले जिस छात्रा ने तीरंदाजी में स्‍वर्ण पदक जीता था, उसकी कुएं में गिरने से जान चली गई. इस दुर्भाग्‍यपूर्ण घटना के करीब 16 घंटे बाद भी छात्रा का शव बाहर नहीं निकाला जा सका है. रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन जारी है. 12 में पढ़ने वाली छात्रा बकरी चराने गई थी, इसी दौरान घटना हो गई. 

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झुंझुनू के खेतड़ी उपखंड के करमाड़ी गांव की स्वर्ण पदक विजेता छात्रा का पैर फिसलकर कुएं में गिरने से मौत हो गई. घटना की सूचना पर मौके पर पहुंचे पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी शव को कुएं से बाहर निकालने में जुटे हुए हैं, लेकिन कुएं में पानी अधिक होने के चलते काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 16 घंटे बीत जाने के बाद भी शव को कुएं से बाहर नहीं निकाला जा सका है.

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एसडीएम शिवपाल जाट तहसीलदार कृष्ण कुमार यादव के नेतृत्व में ग्रामीणों के सहयोग से रेस्क्यू ऑपरेशन फिलहाल जारी है. जानकारी के अनुसार करमाड़ी निवासी छात्रा संगीता (18) पुत्री मदनलाल शाम करीब पांच बजे बकरी चराने के लिए अपने खेत में गई थी. वह बकरियों को छोड़कर खेत में बने कुएं पर जाकर बैठ गई, इस दौरान उसका पैर फिसल गया और वह कुएं में गिर गई. इसके बाद उसके साथ गई बच्ची ने पूरी घटना घर आकर उसके परिजनों को बताई तो परिजन व ग्रामीण मौके पर पहुंचे. इसके बाद ग्रामीणों ने घटना की सूचना पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों का दी. ग्रामीणों ने अपने स्तर पर ही छात्रा को कुएं से निकालने का प्रयास किया. कुएं में पानी अधिक होने के कारण वह पानी में डूब गई. 

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पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष निरंजन लाल सैनी ने बताया कि छात्रा संगीता के पिता मदनलाल का करीब दस वर्ष पूर्व निधन हो गया था. परिवारिक स्थिति कमजोर होने के कारण बकरी पालन का कार्य कर अपना काम चलाते हैं. मृतक छात्रा संगीता तीन बहनों में सबसे छोटी थी, उसकी एक बहन मेडिकल की तैयारी कर रही है. एक बहन एमएससी की पढ़ाई कर रही है. ग्रामीणों के अनुसार छात्रा संगीता पढ़ाई में काफी होशियार है, वह पपुरना के शहीद भगवान सिंह राजकीय स्कूल में 12 वीं कक्षा की छात्रा है.

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संगीता ने सात दिन पहले ही आबूरोड में आयोजित राज्य तीरंदाजी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था, आर्थिक स्थिति कमजोर होने से वह बकरी पालन और ऐसे ही दूसरे कामों में परिवार की मदद करती थी.