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अवमानना केस में प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, मांगनी पड़ी माफी

जस्टिस अरुण मिश्रा इस मामले की सुनवाई से अलग होने की प्रशांत भूषण की मांग को ठुकरा चुके थे, लेकिन प्रशांत भूषण की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने दलील की कि बिना उनका पक्ष सुने, ऐसा आदेश देना गलत है. लिहाजा कोर्ट ने एक बार फिर सुनवाई की.

Updated on: 07 Mar 2019, 02:30 PM

मुंबई:

अवमानना के केस में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गुरुवार को माफी मांग ली, जिस पर अटॉर्नी जनरल ने केस वापस लेने की बात कही. इससे पहले प्रशांत भूषण ने मांग की थी कि जस्टिस अरुण मिश्रा को इस मामले को नहीं सुनना चाहिए, क्योंकि किसी दूसरे मामले में वह उनके खिलाफ सख्त टिप्पणी कर चुके हैं. बेंच ने प्रशांत भूषण की मांग को ठुकरा दिया.

AG द्वारा प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना का मामला दायर किया था, जिस पर कोर्ट रूम में तीखी बहस हुई. AG ने कहा कि प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर मुझ पर आरोप लगाया है कि एम नागेश्वर राव की सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर पद पर नियुक्ति को लेकर कोर्ट रूम में झूठे दस्तावेज जमा कराए गए है. यह लोगों के मन में भ्रम पैदा करने वाला है. उन पर अवमानना की कार्रवाई होनी चाहिए. हालांकि, उनके लिए किसी सजा की मांग मैं नहीं करता, लेकिन कोर्ट को यह तय जरूर करना चाहिए कि कोर्ट रूम में लंबित मामलों में कोई वकील किस हद तक कोर्ट के बाहर बयानबाजी कर सकता है.

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AG ने कहा, 'मैं प्रशांत भूषण से चीफ जस्टिस की कोर्ट रूम के बाहर मिला. उनसे कहा कि अगर वो अपनी गलती मानते हैं, तो मैं केस वापस ले लेता हूं, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया.

हालांकि, जस्टिस अरुण मिश्रा इस मामले की सुनवाई से अलग होने की प्रशांत भूषण की मांग को ठुकरा चुके थे, लेकिन प्रशांत भूषण की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने दलील की कि बिना उनका पक्ष सुने, ऐसा आदेश देना गलत है. लिहाजा कोर्ट ने एक बार फिर सुनवाई की.

प्रशांत भूषण की ओर से पेश वकील दुष्यंत दवे का कहना है कि जस्टिस अरुण मिश्रा एक दूसरे मामले में अदालत में लंबित मुकदमों को लेकर, वकीलों की बयानबाजी पर सख्त टिप्पणी कर चुके हैं.

सुप्रीम कोर्ट के नियमों के मुताबिक कोई भी पक्षकार किसी जज से मामले की सुनवाई से अलग होने की मांग कर सकता है. अगर उसके मन में किसी मसले पर जज की निष्पक्षता पर संदेह को लेकर वाजिब कारण हो.

कोर्ट रुम में मौजूद सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जज लोया केस में दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में प्रशांत भूषण की जज को सुनवाई से अलग होने की मांग को लेकर की गई सख्त टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा कि भूषण के ऐसा करने से अदालत की गरिमा प्रभावित हो रही है.

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वकील दुष्यंत दवे ने SG की ओर से इस केस में जिरह करने पर सवाल उठाया और कहा, 'जब वो इस केस में पार्टी नहीं तो किस हैसियत से जिरह कर रहे हैं. इस तरह केस से ना जुड़े लोगों को भी बोलने का मौका देकर कोर्ट गलत उदाहरण पेश कर रहा है.

इस पर कोर्ट रूम में तीखी बहस हुई. राजीव धवन ने भी दुष्यंत दवे का समर्थन किया और कहा कि एसजी तुषार मेहता अक्सर ऐसा करते हैं. एसजी होने का ये मतलब नहीं है कि आप हर केस में दलीले रखने का हकदार बन गए. जस्टिस अरुण मिश्रा ने राजीव धवन को शांति से अपनी बात रखने को कहा.

धवन ने जवाब दिया, 'मैं शांत ही हूं सर, सौभाग्य से मुझे ब्लड प्रेशर की कोई समस्या नहीं है. जस्टिस मिश्रा (हल्के अंदाज में) ने कहा, 'आप अपना बीपी चेक कराइये. इस पर राजीव धवन ने कहा, 'मैं नियमित रूप से चेक कराता हूं. माई लार्ड, आपको भी करना चाहिए.

वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में माना कि एम नागेश्वर राव की नियुक्ति को लेकर 1 फरवरी को किए गए ट्वीट में उन्होनें (genuine) गलती की है. इस पर एजी ने कहा कि अगर प्रशांत भूषण गलती मान रहे तो मैं अवमानना का मामला वापिस लेने को तैयार हूं.

लेकिन जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, 'इस केस में क्या किया जाए, ये हम तय करेंगे. आप चाहे केस वापिस ले या नहीं, ये आप पर निर्भर है, लेकिन एक बार कोर्ट अगर किसी मसले पर संज्ञान लेता है तो अंतिम निर्णय का अधिकार हमारे पास है. आपके (AG) के पास नहीं. हम ये तय करेंगे कि किसी लंबित मामले में कोई वकील कोर्ट के बाहर किस हद तक बयानबाजी कर सकता है.

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बेंच अभी इस मामले को कोई आदेश पास करने नहीं जा रही. जस्टिस अरुण मिश्रा ने साफ किया कि वो इस मामले को सुनेंगे. इससे जुड़े सभी पहलुओं पर विचार करेंगे. जब दुष्यंत दवे ने कहा कि अब इस मामले में कुछ बचा नहीं है तो जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, 'इस देश के जज, कोर्ट और कानून के शासन में विश्वास रखिए. हम इससे जुड़े सभी पहलुओं पर विचार करेंगे.

इसी बीच वकील आनंद ग्रोवर जिरह के लिए खड़े हुए. जज ने पूछा, 'आप किसकी ओर से हैं. आनंद ग्रोवर ने जवाब दिया, 'इंदिरा जय सिंह की ओर से.' इस पर AG ने कहा, 'आनंद ग्रोवर को कहना चाहिए अपनी पत्नी की ओर से.( दरअसल इंदिरा जंय सिंह आनंद ग्रोवर की पत्नी है), लेकिन इंदिरा जय सिंह ने AG के इस 'हल्के बयान' पर आपत्ति जताई और कहा, 'हम यहां एक वकील की हैसियत से है. किस के पति, पत्नी, की हैसियत से नहीं. इसलिए मैंने अपना नाम भी नहीं बदला. हालांकि, इंदिरा जय सिंह ने अपनी ऊंची आवाज के लिए AG से खेद भी जताया.

AG ने भी कहा, 'कोई बात नहीं. इंदिरा जय सिंह एक बेहतर वकील है. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण की माफी और अटॉर्नी जनरल के इस मामले में प्रशांत भूषण को सजा न दिये जाने के बयान को रिकॉर्ड पर लिया.'

कोर्ट ने गलत ट्वीट करने के लिए प्रशांत भूषण की माफी को रिकॉर्ड पर लिया. कोर्ट ने प्रशांत भूषण से पूछा, 'आपने इस केस में जज को सुनवाई से अलग होने की मांग भी की है. क्या उस पर भी माफी मांगेंगे. प्रशांत भूषण ने इस पर माफी मांगने से इनकार किया. मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी.