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दहेज उत्पीड़न मामलों में सीधे गिरफ्तारी पर रोक की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट, पूर्व निर्देशों पर जताई हैरानी

दहेज उत्पीड़न मामले में सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर चीफ जस्टिस ने हैरानी जताई।

Updated on: 29 Nov 2017, 01:27 PM

highlights

  • सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न मामले में पूर्व बेंच के फैसले पर जताई हैरानी 
  • दहेज उत्पीड़न मामले में पूर्व बेंच ने सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी
  • सीजेआई ने कहा कि कानून के रहते अलग से गाइडलाइन कैसे बना सकते है 

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न मामले में सीधे गिरफ्तारी के फ़ैसले पर हैरानी ज़ाहिर की है।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने फ़ैसले पर हैरानी जताते हुए कहा, 'कानून के रहते अलग से गाइडलाइन कैसे बनाई जा सकती है?'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दहेज उत्पीड़न के मामलों में डिवीजन बेंच का आदेश ग़लत था।

बता दें कि डिवीजन बेंच ने इससे पहले फ़ैसला सुनाते हुए सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी और पहले की प्रकिया से अलग एक गाइड लाइन बनाई थी।

चीफ जस्टिस ने कहा कि वो डिवीजन बेंच के आदेश पर दोबारा विचार करेंगे।

बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की ही दो सदस्यीय बेंच ने दहेज उत्पीड़न के मामलों में सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाने और मामला शुरू में वेलफेयर कमेटी को भेजने जैसे कई निर्देश जारी किए थे।

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इसके बाद कुछ सामाजिक संगठनों ने इसे महिलाओं के हितों के खिलाफ बताते हुए अर्जी दायर की थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जनवरी के तीसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा।

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सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि दो जजों के आदेश से दहेज उत्पीड़न रोक कानून का असर कम हो जाएगा और महिलाओं पर अत्याचार बढ़ेंगे। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच कर रही है।

इससे पहले जस्टिस आदर्श गोयल की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच ने गाइडलाइन बनाने का आदेश दिया था। 

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