logo-image

मी लॉर्ड, चिदंबरम 74 साल के हैं...घर का खाना मंगाने दिया जाए, कोर्ट ने कहा- जेल की रोटी खानी पड़ेगी

पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम (p chidambaram) द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जेल में सभी के लिए एक समान भोजन उपलब्ध है, कोई घर का खाना नहीं मंगवा सकता.

Updated on: 13 Sep 2019, 06:32 AM

नई दिल्ली:

पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम (p chidambaram) द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जेल में सभी के लिए एक समान भोजन उपलब्ध है, कोई घर का खाना नहीं मंगवा सकता. अदालत ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में तिहाड़ जेल में बंद चिदंबरम की याचिका पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को यह टिप्पणी की. चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से अनुरोध किया कि उनके मुवक्किल को जेल में घर का बना हुआ खाना मंगवाने की अनुमति दी जानी चाहिए.

मगर न्यायाधीश सुरेश कुमार कायत ने कहा, 'जेल में सभी के लिए एक समान भोजन उपलब्ध है.'

अदालत की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए सिब्बल ने कहा, 'मी लॉर्ड, वह 74 वर्ष के हैं.'

इसके बाद अभियोजन पक्ष की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया, 'ओम प्रकाश चौटाला भी वृद्ध हैं और एक राज्य के राजनेता होते हुए सजा भुगत रहे हैं. हम किसी के साथ भेदभाव नहीं कर सकते.'

इसे भी पढ़ें:10 लाख कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, मोदी सरकार बढ़ा सकती है सैलेरी; जानें कैसे

ये दलीलें तब पेश की गईं, जब अदालत आईएनएक्स मीडिया से संबंधित मामले में चिदंबरम द्वारा दायर नियमित जमानत (जब व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया हो) याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

सुनवाई के दौरान चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ लगाए गए आरोप से संबंधित अपराध के लिए केवल सात साल कैद का प्रावधान है.

उन्होंने आगे दलील दी कि उनके मुवक्किल पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-420 के आरोप भी नहीं लगाए जा सकते, क्योंकि इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है.

इन दलीलों का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, 'हम प्री चार्जशीट स्टेज पर हैं. याचिकाकर्ता को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था. अपराध 2007 में किए गए थे. चिदंबरम भ्रष्टाचार गतिविधि में शामिल थे.'

देरी के बारे में पूछताछ करते हुए अदालत ने पूछा, 'उन्हें पांच सितंबर को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था, आपने तब संपर्क क्यों नहीं किया?'

इसका जवाब देते हुए सिब्बल ने कहा, 'बीच में छुट्टियां थीं.'

न्यायाधीश ने कहा, 'जब आप उसी दिन सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं, तो अब आप इतनी देरी से क्यों आए हैं?'

दलीलें सुनने के बाद अदालत ने सीबीआई को नोटिस जारी करने के बाद याचिका पर जवाब मांगा. इसके बाद मामले की अगली सुनवाई की तारीखी 23 सितंबर तय कर दी.

और पढ़ें:पीएम नरेंद्र मोदी बने 'फोटो एक्सपर्ट', विधायकों को बताया ग्रुप में कैसे खिंचवाए फोटो

इस दौरन चिदंबरम के वकील ने निचली अदालत द्वारा पारित न्यायिक रिमांड के आदेश को चुनौती देने वाला अपना आवेदन वापस ले लिया.

गौरतलब है कि बुधवार को चिदंबरम ने आरोप लगाया था कि आईएनएक्स मीडिया मामला एक राजनीतिक प्रतिशोध है और जांच एजेंसी केंद्र के इशारे पर काम कर रही है.

चिदंबरम ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दायर अपने आवेदनों में कहा, 'इस मामले में तत्काल आपराधिक कार्रवाई एक दुर्भावनापूर्ण मामला है, जो राजनीतिक प्रतिशोध से पैदा हुआ है. जांच एजेंसी केंद्र के इशारे पर काम कर रही है, जो याचिकाकर्ता की बेदाग छवि को धूमिल करना चाहती है.'

चिदंबरम ने हाईकोर्ट के समक्ष दो आवेदन पेश किए, जिनमें से एक जमानत के लिए था. इसके अलावा दूसरा आवेदन पांच सितंबर को निचली अदालत द्वारा पारित उस आदेश के खिलाफ है, जिसमें उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.