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संतों ने कहा, शिवसेना प्रमुख अयोध्या को 'अखाड़ा' न बनाएं, मुस्लिम भी खफा

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर दिन-ब-दिन सियासत तेज होती जा रही है. मंदिर को लेकर शिवसेना के तेवर सख्त हो गए हैं. शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने रविवार को दोबारा अपने 18 सांसदों के साथ रामलला के दर्शन किए.

Updated on: 16 Jun 2019, 07:05 PM

नई दिल्ली:

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर दिन-ब-दिन सियासत तेज होती जा रही है. मंदिर को लेकर शिवसेना के तेवर सख्त हो गए हैं. शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने रविवार को दोबारा अपने 18 सांसदों के साथ रामलला के दर्शन किए. इसे लेकर संत समाज ने कहा कि अगर दर्शन के लिए आएं हैं तो ठीक है, मगर इसे राजनीतिक आखाड़ा न बनाएं. वहीं, मुस्लिम समाज ने इसे कानून का 'मजाक उड़ाना' बताया है.

चीन की तरह समान संहिता लागू हो

मणिरामदास छावनी के उत्तराधिकारी कमल नयन दास ने से बातचीत में कहा, 'रामजी के दर्शन के लिए जो भी भक्त आए, अच्छी बात है. इसी क्रम में ये भी लोग आए होंगे. हमारा संकल्प है कि रामभूमि के साथ परिवेश बनाएंगे. अयोध्या में मुस्लिमों की संख्या बढ़ती जा रही है. अगर यही हाल रहा तो राष्ट्र का क्या होगा. चीन की तरह समान संहिता लागू हो. जो इसे न माने, उसकी नगरिकता खत्म हो. चीन ने इसे लागू किया है. रूस ने नहीं माना तो टुकड़ों में बंट गया है. 19 और 20 जून को इस बारे में विचार करेंगे.'

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संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास रामायणी ने कहा कि अब देरी बर्दाश्त नहीं है. भगवान राम को कांग्रेस ने 35 वर्ष तक जेल में बंद रखा, आज भी उसकी मानसिकता बदली नहीं है. जब राम मंदिर बनेगा, तभी हमें धार्मिक स्वतंत्रता मिलेगी. दर्शन-पूजन के लिए कोई आए, मनाही नहीं है. बस इस विषय को राजनीति से दूर रखा जाए.

योगी अदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही यहां हलचल बढ़ी 

हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि अयोध्या अभी तक उपेक्षित रहा है. योगी अदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही यहां हलचल बढ़ी है. उद्धव ठाकरे आए तो अच्छी बात है, स्वागत है. वह एक भक्त बनकर आएं तो अच्छी बात है. इस बार उनकी पार्टी के सांसदों की संख्या ठीक-ठाक है. इस मुद्दे को उनके सांसद संसद में उठाएं, तब पता चलेगा कि इस पक्ष में कितने लोग हैं. रामलला परिसर को राजनीति के आखाड़े से दूर ही रखें तो बेहतर होगा.

अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में पक्षकार इकबाल अंसारी को मगर शिवसेना प्रमुख ठाकरे का अयोध्या आने का कारण समझ में नहीं आया. अंसारी ने ठाकरे की अयोध्या यात्रा को 'राजनीति से प्रेरित' बताया है.

राम जन्मभूमि को लेकर दोनों पक्षों को अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए

अंसारी ने कहा कि राम जन्मभूमि को लेकर दोनों पक्षों को अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अयोध्या धर्म नगरी है. अयोध्या में आकर सरयू स्नान, हनुमानगढ़ी और रामलला के दर्शन करना अच्छी बात है.

उन्होंने कहा कि शिवसेना प्रमुख का 18 सांसदों के साथ अयोध्या आना धर्म का काम नहीं, बल्कि राजनीति है.

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अंसारी ने कहा कि ठाकरे यहां बाबरी मस्जिद बनाम राम जन्मभूमि की राजनीति न करें तो बेहतर होगा. इस मामले को हल करने के लिए पैनल बनाया गया है, वही पैनल बातचीत के लिए हिंदू और मुसलमान पक्षकारों को बुला रहे हैं.

कानून का कई लोग मजाक उड़ा रहे हैं

उन्होंने कहा कि जन्मभूमि की राजनीति करना कानून में आता है और कानून का कई लोग मजाक उड़ा रहे हैं. अयोध्या एक धार्मिक स्थल है, लेकिन नेता यहां केवल राजनीति करने आते हैं. ये लोग अपने मकसद के लिए राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की राजनीति करते हैं. अयोध्या साधु-संतों का शहर है और जहां साधु होते हैं वहां शांति होती है.

बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी का कहना है कि इस मामले को तूल देने की जरूरत नहीं है. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होना है, इसीलिए यहां पर दर्शन-पूजन करके ये वहां पर लोगों को अपनी बहादुरी बताएंगे. इन लोगों की नीयत से सब लोग वाकिफ हैं.

 मामला जब सुप्रीम कोर्ट में है, इस पर तो राजनीति क्यों हो रही है

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मतीन खान ने कहा कि मामला जब सुप्रीम कोर्ट में है, इस पर तो राजनीति क्यों हो रही है। महाराष्ट्र में चुनाव है तो ये लोग यहां क्या लेने आए हैं? पहले राममंदिर, फिर शपथ लें. लेकिन इन्होंने ऐसा किया नहीं. पहले शपथ ली, फिर यहां राजनीति करने आए. इससे माहौल खराब होता है. सरकार को इसे रोकना चाहिए. ये लोग जब उत्तर भारतीयों को पीटते और परेशान करते थे. अब ये यहां क्या करने आए हैं.

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गौरतलब है लोकसभा चुनाव से पहले भी उद्धव ठाकरे ने अपने परिवार के साथ अयोध्या का दौरा किया था और राम मंदिर निर्माण को लेकर मोदी सरकार को घेरा था. अब लोकसभा चुनाव के बाद साधु-संतों के जयकारे के बीच ठाकरे अपने 18 सांसदों के साथ अयोध्या पहुंचे.

उधर, मोदी सरकार और योगी सरकार पर साधु-संत लगातार दबाव बना रहे हैं. इनका कहना है कि मोदी सरकार एक बार फिर से राम मंदिर निर्माण का वादा कर बहुमत से सत्ता में आ गई है. अब केंद्र में मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश में योगी सरकार है, तब राम मंदिर निर्माण में देरी क्यों हो रही है.