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धार्मिक परम्परा बनाम महिला अधिकार मामला, 17 फरवरी से सुप्रीम कोर्ट में रोज सुनवाई

सबरीमाला सहित धार्मिक परंपरा और महिला अधिकार मामले में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने आदेश दिया है कि वह 17 फरवरी से इस मामले की रोज सुनवाई करेगी.

Updated on: 10 Feb 2020, 11:14 AM

नई दिल्ली:

सबरीमाला सहित धार्मिक परंपरा और महिला अधिकार मामले में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने आदेश दिया है कि वह 17 फरवरी से इस मामले की रोज सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पुनर्विचार याचिका सुनते समय कोई बेंच मामला बड़ी बेंच को भेज सकती है. कुछ वकीलों ने सबरीमाला पुनर्विचार के दौरान  दूसरे धर्म से जुड़े संवैधानिक सवाल को बड़ी बेंच को भेजने पर एतराज जताया था. इसके बाद  सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. अब इस मामले में 17 फरवरी से  सोमवार से शुक्रवार हर रोज सुनवाई होगी. कोर्ट इस पर भी विचार करेगा कि क्या किसी एक धर्म का शख्स दूसरे धर्म से जुड़े मसलों पर सवाल उठा सकता है. 

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की 9 न्यायाधीशों की पीठ केरल के सबरीमला मंदिर समेत धार्मिक स्थलों पर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए बैठी है. चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने साफ किया कि नौ जजों की संविधान पीठ सबरीमला मन्दिर में सभी उम्र की महिलाओं की एंट्री के आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार अर्जियों पर सुनवाई नहीं कर रही है, बल्कि बेंच पूजा और धार्मिक अधिकार से जुड़े उन सवालों पर विचार कर रही है, जो पांच जजों की बेंच ने 3-2 के बहुमत से विचार के लिए उसके पास भेजे थे.

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बता दें कि केरल सरकार ने कहा था कि जो महिलाएं मंदिर में प्रवेश करना चाहती है उन्हें ‘अदालती आदेश’ लेकर आना होगा. शीर्ष अदालत ने इस धार्मिक मामले को बड़ी पीठ में भेजने का निर्णय किया था. शीर्ष अदालत ने पहले पिछले साल रजस्वला उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी. 17 नवंबर से शुरू होने वाले दो महीने की लंबी वार्षिक तीर्थयात्रा सत्र के लिए आज मंदिर खुल रहा है. केरल के देवस्वओम मंत्री के सुरेंद्रन ने शुक्रवार को कहा था कि सबरीमला आंदोलन करने का स्थान नहीं है और राज्य की एलडीएफ सरकार उन लोगों का समर्थन नहीं करेगी जिन लोगों ने प्रचार पाने के लिए मंदिर में प्रवेश करने का ऐलान किया है.

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हालांकि, इस साल उच्चतम न्यायालय ने 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने संबंधी अपने फैसले पर रोक नहीं लगाई. लेकिन इस फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को सात न्यायाधीशों की वृहद पीठ को भेज दिया. साथ ही, सरकार भी इस विषय पर सावधानी बरत रही है. देवस्वाओम मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन ने स्पष्ट कर दिया है कि सबरीमला कार्यकर्ताओं के अपनी सक्रियता दिखाने का स्थान नहीं है और प्रचार पाने के लिए मंदिर आने वाली महिलाओं को सरकार प्रोत्साहित नहीं करेगी. वहीं, 10 से 50 आयुवर्ग की जो महिला सबरीमला मंदिर में दर्शन करना चाहती हैं, वे अदालत का आदेश लेकर आएं.