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हिंदी के मुद्दे पर लोकसभा में द्रमुक सदस्यों और राजीव प्रताप रूड़ी के बीच तीखी नोकझोंक

लोकसभा में बुधवार को द्रमुक सांसद कलानिधि वीरस्वामी ने केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए कुछ टिप्पणी की जिसका भाजपा सदस्य राजीव प्रताप रूड़ी ने कड़ा विरोध किया.

Updated on: 17 Jul 2019, 05:05 PM

नई दिल्ली:

लोकसभा में बुधवार को द्रमुक सांसद कलानिधि वीरस्वामी ने केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए कुछ टिप्पणी की जिसका भाजपा सदस्य राजीव प्रताप रूड़ी ने कड़ा विरोध किया और कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा है जिसके खिलाफ बोलना पूरी तरह अनुचित है. ‘वर्ष 2019-20 के लिए युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों’ पर चर्चा में भाग लेते हुए वीरस्वामी ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने हाल के दिनों में तीन अवसरों पर हिंदी थोपने की कोशिश जिसका हम विरोध करते हैं.

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राजीव प्रताप रूड़ी ने आगे कहा कि द्रविड़ आंदोलन की भावनाओं के साथ चल रही हमारी पार्टी हिंदी भाषा को थोपने का विरोध करती रहेगी. चर्चा में हिस्सा लेते हुए द्रमुक सदस्य ने हिंदी थोपे जाने के अपने आरोप का कई बार उल्लेख किया. इस पर बिहार के सारण से भाजपा सदस्य राजीव प्रताप रूड़ी अपने स्थान पर खड़े हो गए और कहा कि द्रमुक सांसद हिंदी को लेकर जो बातें कर रहे हैं वो उचित नहीं हैं. खेल से जुड़े अनुदान के बजाय हिंदी के विरोध में बात करने का क्या मतलब है? उन्होंने नियम का हवाला देते हुए कहा कि इसे रिकॉर्ड से हटाया जाए. हिंदी राष्ट्रभाषा है और इसका विरोध पूरी तरह अनुचित है.

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इस पर पीठासीन सभापति एनके प्रेमचंद्रन ने वीरस्वामी से कहा कि वह विषय पर बोलने का प्रयास करें. इस दौरान रूड़ी और द्रमुक सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई. भाजपा के मनोज तिवारी और रवि किशन पर भी रूड़ी का समर्थन करते नजर आए. बाद में अपनी बात जारी रखते हुए वीस्वामी ने कहा कि इस मंत्रालय का नाम ‘यूथ अफेयर्स’ से बदल कर ‘यूथ एम्पारवमेंट’ किया जाना चाहिए.