logo-image

संघ CAB में हिंदुओं को नागरिकता देने में नहीं होने देगा कोई खेल, तैयार की रणनीति

संघ का कहना है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बनने पर गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने में किसी तरह का 'खेल' नहीं होने दिया जाएगा. इसके लिए रणनीति बनाने के साथ सरकार को भी सावधानी बरतनी होगी.

Updated on: 08 Dec 2019, 01:18 PM

highlights

  • गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने में किसी तरह का 'खेल' नहीं होने दिया जाएगा.
  • कुछ इसी तरह की गड़बड़ियां असम में एनआरसी तैयार करने को लेकर सामने आ चुकी हैं.
  • फूलप्रूफ रणनीति बनाने पर संघ व उसके समर्थक संगठन काम कर रहे हैं.

New Delhi:

असम में एनआरसी तैयार करने में जिस तरह की भारी गड़बड़ियां सामने आईं, उससे नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) के कानून का रूप लेने से पहले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) सतर्क हो गया है. संघ का कहना है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बनने पर गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने में किसी तरह का 'खेल' नहीं होने दिया जाएगा. इसके लिए रणनीति बनाने के साथ सरकार को भी सावधानी बरतनी होगी.

यह भी पढ़ेंः Delhi Fire Live: अनाज मंडी में लगी भयानक आग, 45 की मौत, घायलों को 10-10 लाख देगी केजरीवाल सरकार

सिर्फ हकदार ही ले सकेंगे हक
दरअसल, संघ नेताओं को आशंका है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बनने के बाद अवैध रूप से देश में रह रहे बांग्लादेशी, रोहिंग्या मुस्लिम भी भारतीय नागरिकता लेने की कोशिशें कर सकते हैं. इसके लिए पहचान छुपाकर हिंदू नाम रखने के साथ कर्मियों से सांठगांठ कर जाली दस्तावेज भी बनाए जा सकते हैं या फिर सिस्टम में सेंधमारी कर वे नागरिकता लेने की कोशिशें कर सकते हैं, जबकि यह कानून पड़ोसी मुस्लिम देशों में प्रताड़ना के शिकार होकर भारत आने वाले हिदू, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाई आदि अल्पसंख्यकों के लिए बनाया जा रहा.

यह भी पढ़ेंः 43 लोगों का काल बनी फैक्ट्री के पास नहीं थी एनओसी! जानें क्या कहता है कानून

पैसा लेकर हुआ खेल
कुछ इसी तरह की गड़बड़ियां असम में एनआरसी तैयार करने को लेकर सामने आ चुकी हैं. आरोप लगे कि कर्मचारियों ने पैसे लेकर अवैध लोगों के नाम शामिल कर लिए, वहीं तमाम वाजिब लोग सूची से बाहर हो गए. असम में एनआरसी से बाहर हुए 19 लाख लोगों में अधिकांश हिंदू हैं. संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने में किसी तरह की गड़बड़ी न हो, इसके लिए फूलप्रूफ योजना बन रही है. जहां तक नाम बदलकर नागरिकता लेने की कोशिशों की बात है तो जो भी आवेदन करेगा उसके बाप, दादा यानी पीढ़ियों की पड़ताल होगी. हालांकि गड़बड़ियां होने की गुंजाइश है तो उसे रोकने के लिए उचित प्रबंध भी होगा.

यह भी पढ़ेंः नहीं थम रहा राजधानी में आग की घटनाएं, दिल्ली में संकरी गलियां बन रहीं है लोगों के मौत का कारण

शरणार्थियों की मिल सकेगी नागरिकता
बता दें कि अगर नागरिकता संशोधन विधेयक संसद के इस शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों से पास हुआ तो फिर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा. इसके बाद पड़ोसी तीनों देशों से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी. संघ का मानना है कि बिल के कानून का रूप लेने के करीब सालभर तक नागरिकता देने का काम पूरा हो जाएगा. करीब दो से तीन करोड़ अल्पसंख्यकों को इससे लाभ मिलेगा. मगर इसमें किसी तरह की चूक से रोकने के लिए उन सामाजिक संगठनों की मदद ली जाएगी जो इन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः इस जेल में तैयार हो रहे हैं फांसी के 10 फंदे, ऑर्डर आते ही...

संघ के प्रयास से तय होगी जवाबदेही
संघ सूत्रों का कहना है कि असम में एनआरसी तैयार करने में तमाम रिटायर्ड लोगों को लगाया गया, जिनकी कोई जवाबदेही सुनिश्चित नहीं हो सकती थी. एनआरसी तैयार करने वालों की ठीक से मॉनिटरिंग भी नहीं हो सकी. जल्दबाजी में एनआरसी तैयार करने में भारी लापरवाही हुई. ऐसे में एनआरसी जैसा हश्र नागरिकता देने वाली इस योजना का न हो, इसके लिए फूलप्रूफ रणनीति बनाने पर संघ व उसके समर्थक संगठन काम कर रहे हैं.