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RSS नेता भैय्याजी जोशी ने कहा, राम मंदिर के लिए जारी रहेगा आंदोलन, कोर्ट जल्द दे फैसला

आरएसएस नेता का यह बयान ऐसे समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद की मध्यस्थता के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया है.

Updated on: 10 Mar 2019, 01:35 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर रविवार को कहा कि 1980-90 के दशक से जो आंदोलन (मंदिर निर्माण के लिए) चल रहा है, जब तक मंदिर पूरा नहीं होगा तब तक आंदोलन चलता रहेगा. आरएसएस नेता का यह बयान ऐसे समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद की मध्यस्थता के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया है.

जोशी ने कहा, 'हम न्यायालय से अपेक्षा करते हैं कि शीघ्रता से इसके संदर्भ में फैसला दे.'

उन्होंने कहा, 'हम मानते हैं कि सत्ता में बैठे हुए लोगों को अभी राम मंदिर का विरोध नहीं है. उनकी प्रतिबद्धता को लेकर हमारे मन में कोई शंका नहीं है.'

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद अयोध्या विवाद मामले को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए तीन सदस्यीय समिति से मध्यस्थता कराए जाने का आदेश दिया.

इस समिति के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला होंगे और उनके साथ आर्ट ऑफ लीविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर व वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू इसके सदस्य होंगे. मध्यस्थता की प्रक्रिया फैजाबाद में होगी और यह एक सप्ताह में शुरू होगी.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने आदेश में कहा था, 'हमने विवाद की प्रकृति पर विचार किया है. इस मामले में पक्षकारों के बीच सर्वसम्मति की कमी के बावजूद, हमारा विचार है कि मध्यस्थता के जरिए विवाद को सुलझाने का एक प्रयास किया जाना चाहिए.'

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मुस्लिम वादकारियों ने मध्यस्थता पर सहमति जताई, लेकिन हिंदू वादकारियों ने इसका विरोध किया था. हिंदू पक्ष ने कहा कि उनके लिए भगवान राम का जन्मस्थान निष्ठा व मान्यता का विषय है और वे इस मध्यस्थता में विपरीत स्थिति में नहीं जा सकते.

शीर्ष अदालत ने मध्यस्थता प्रक्रिया में भाग ले रहे लोगों के मीडिया से बात करने पर भी रोक लगा दी. अदालत ने मध्यस्थता प्रक्रिया की प्रगति पर इसके शुरू होने के चार हफ्तों के बीच रिपोर्ट मांगी है.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने 2010 के फैसले में विवादित स्थल को तीन समान भागों में बांटा है, जिसमें निर्मोही अखाड़ा, रामलला व सुन्नी वक्फ बोर्ड प्रत्येक को एक-एक भाग दिया है.