New Delhi :
महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान में मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी कूद पड़ा. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राज्य में शिवसेना-बीजेपी की सरकार नहीं बन पाने पर बातों-बातों में शिवसेना को 'स्वार्थी' करार दे दिया. हालांकि उन्होंने शिवसेना का नाम नहीं लिया, लेकिन समझने वाले समझ गए कि उनके निशाने पर कौन है. मोहन भागवत ने हालांकि बीजेपी पर भी निशाना साधा और कहा कि आपस के झगड़े से हमेशा दोनों पक्षों की ही हानि होती है.
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झगड़े से दोनों पक्षों को हानि
नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'सब जानते हैं कि स्वार्थ बहुत खराब बात है, लेकिन अपने स्वार्थ को बहुत कम लोग छोड़ पाते हैं. देश का उदाहरण लीजिए या विदेश का.' इसके साथ ही संघ प्रमुख आपसी झगड़े के हानि-लाभ बताने से भी नहीं चूके. उन्होंने कहा, 'सब मानव जानते हैं कि प्रकृति को नष्ट करने से हम भी नष्ट हो जाएंगे. पर प्रकृति को नष्ट करने का काम थमा नहीं. सब जानते हैं कि आपस में झगड़ा करने से दोनों की हानि होती है, लेकिन आपस में झगड़ा करने की बात अभी तक बंद नहीं हुई.'
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शिवसेना पर साधा निशाना
जाहिर है मोहन भागवत ने बातों-बातों में महाराष्ट्र में जारी सियासी संघर्ष की ओर ही इशारा किया और शिवसेना पर 'स्वार्थी' होने का आरोप मढ़ा. शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले के नाम पर सरकार में हिस्सेदारी मांगी थी, जिसे बीजेपी ने सिरे से खारिज कर दिया. इसके बाद शिवसेना ने एनसीपी-कांग्रेस से समर्थन की आस में अपने एकमात्र केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत से भी इस्तीफा दिला दिया, लेकिन मंगलवार तक एनसीपी और कांग्रेस ने अपने पत्ते खोले नहीं थे. यहां तक उनके बीच होने वाली बैठक भी बुधवार तक के लिए टाल दी गई.
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पीएम मोदी भी दे चुके हैं नए संकेत
इसके पहले सोमवार को राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एनसीपी की तारीफ कर महाराष्ट्र की भविष्य की सियासत के संकेत दे दिए थे. फिलहाल रुख तो यही लग रहा है कि राज्य में सरकार बनाने के लिए उछल-कूद कर रही शिवसेना को अंततः बीजेपी की शरण में ही आना पड़ेगा. इस बात के संकेत मिल भी रहे हैं कि शिवसेना अपना अड़ियल रुख छोड़ सकती है. हालांकि यह भी तय है कि इस बार बीजेपी हर हाल में शिवसेना को उसका स्थान दिखाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी यानी कोई मुरव्वत नहीं करने वाली.
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