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सरोगेसी के इच्छुक दंपती की 5 साल के वैवाहिक जीवन की शर्त की अवधि को कम किया जाए- AAP नेता

गुप्ता ने कहा कि किराये की कोख देने वाली मां को समुचित मुआवजा देना चाहिए क्योंकि यदि वह कामकाजी हुई तो नौ माह तक वह आय अर्जन भी नहीं कर पाएगी.

Updated on: 20 Nov 2019, 05:35 PM

नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी के सुशील कुमार गुप्ता ने कहा कि वर्तमान में उच्च शिक्षा, करियर और अन्य कारणों के चलते विवाह भी विलंब से होते हैं इसलिए संतानहीनता की स्थिति में सरोगेसी के इच्छुक दंपती की पांच साल के वैवाहिक जीवन की शर्त की अवधि को कम किया जाना चाहिए. उन्होंने मांग की कि निकटतम संबंधियों में पुराने मित्रों को भी शामिल किया जाना चाहिए और बांझपन के प्रमाणपत्र की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए. गुप्ता ने कहा कि किराये की कोख देने वाली मां को समुचित मुआवजा देना चाहिए क्योंकि यदि वह कामकाजी हुई तो नौ माह तक वह आय अर्जन भी नहीं कर पाएगी.

उन्होंने कहा कि छह माह और नौ माह का अवकाश तो सरकार की ओर से भी दिया जाता है. उन्होंने कहा कि आज समाज में अविवाहित, सिंगल अभिभावक, विधुर या विधवा भी बच्चे पालते हैं. ऐसे में सरोगेसी के लिए वैवाहिक दंपती का प्रावधान रखने से समाज के कई वर्गों के साथ न्याय नहीं होगा. साथ ही उन्होंने कहा ‘‘विधेयक में सरोगेट मां की गर्भावस्था के दौरान पूरी देखरेख के बारे में स्पष्टता होनी चाहिए. भाजपा के डॉ विकास महात्मे ने कहा कि विधेयक पर लंबा विचारविमर्श हुआ है और स्थायी समिति की अधिकतर सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है.

उन्होंने कहा कि विधेयक में प्रावधान किया गया है कि सरोगेसी से जन्मे बच्चे के दिव्यांग होने पर, उसका अपेक्षित मानसिक विकास न होने पर या अपेक्षित लिंग न होने पर दंपति उसका परित्याग नहीं कर सकेंगे. डॉ महात्मे ने कहा कि विधेयक के प्रावधान के अनुसार, राष्ट्रीय और राज्य सरोगेसी बोर्ड बनेंगे जो राज्यों की जरूरत के अनुसार नियमन करेंगे. बसपा के वीर सिंह ने कहा कि सरोगेसी के लिए वही महिला आगे आएगी जो आर्थिक रूप से कमजोर होगी. ‘‘विधेयक में यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि अगर बच्चे के जन्म के दौरान सरोगेट मां की मृत्यु हो जाती है तो महिला के परिवार को आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए.’’

तेदेपा के कनकमेदला रविन्द्र कुमार ने कहा कि वाणिज्यिक सरोगेसी पर रोक के लिए यह विधेयक लाया गया है लेकिन कठोरता से कार्यान्वयन न होने की स्थिति में यह रोक निष्प्रभावी होगी. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कई अव्यावहारिक पक्ष हैं और यह लाल फीताशाही से भरा हुआ है. उन्होंने कहा कि प्रजनन में प्रामाणिक अक्षमता का प्रावधान समुचित नहीं है. उन्होंने कहा कि दुर्घटना, गर्भपात आदि कई कारणों से दंपत्ती संतानोत्तपति में अक्षम हो सकता है.