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गरीबों को 10% आरक्षण पर बोले रामविलास पासवान, निजी क्षेत्र और न्यायपालिका में भी मिले रिजर्वेशन

लोकसभा में चर्चा के दौरान राम विलास पासवान ने कहा कि आरक्षण विरोधियों को आरक्षण देने से आरक्षण मजबूत होगा. इसके साथ ही पासवान ने कहा कि ज़रूरी है कि आरक्षण को निजी संस्थानों में भी लागू किया जाए.

Updated on: 08 Jan 2019, 08:09 PM

नई दिल्ली:

एनडीए सरकार में सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का मानना है कि सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण के प्रावधान से आरक्षण मजबूत होगी. लोकसभा में चर्चा के दौरान राम विलास पासवान ने कहा कि आरक्षण विरोधियों को आरक्षण देने से आरक्षण मजबूत होगा. इसके साथ ही पासवान ने कहा कि ज़रूरी है कि आरक्षण को निजी संस्थानों में भी लागू किया जाए. उन्होंने कहा कि मैं आरक्षण के समर्थन में हूं लेकिन निजी क्षेत्र और न्यायपालिका में भी मिले आरक्षण.

पासवान ने कहा कि दलित और ओबीसी के आरक्षण में छेड़छाड़ किए बिना अगर सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण मिलता है तो उससे किसी को क्या दिक्कत हो सकती है.

मोदी सरकार की तारीफ़ करते हुए पासवान ने कहा कि पीएम मोदी पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगता रहा है लेकिन इस सरकार में SC/ST ऐक्ट में सुधार करके बिल को तीन महीने में पास करवाया और सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को पलट दिया. वहीं सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि केंद्र सरकार इसे नौंवी सूची में शामिल करे जिससे कि बार-बार क़ानूनी अड़चनों का सामना न करना पड़े.

उन्होंने कहा कि मैं आरक्षण पर इस बिल का समर्थन करता हूं और पीएम को बधाई देता हूं. उन्होंने सबका साथ- सबका विकास नारा दिया था, यह उसी की ओर एक कदम है.

चर्चा में भाग लेते हुए केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने आगे कहा कि जब मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू की जा रही थीं तब भी यह बात उठी थी कि आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को भी आरक्षण दिया जाए लेकिन बात नहीं बन पाई. नरसिम्हा राव ने भी अपने प्रधानमंत्रित्व काल में भी सवर्णों को आरक्षण देने का प्रयास किया था लेकिन कोर्ट ने मामले को पलट दिया.

पासवान ने मोदी सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि जब मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू की गई थीं उस समय पूरे देश में उसका विरोध हुआ था. लेकिन विरोध करने वालों को इसलिए आरक्षण नहीं दिया जा सकता था कि वो संविधान के अनुच्छेद 16-4 से गवर्न नहीं होते थे. अगर आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने से ओबीसी और एससीएसटी के आरक्षण देने पर कोई फर्क नहीं पड़ता है तो इसमें बुराई क्या है.