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बीजेपी (BJP) के तीन बड़े वादे, दो (Article 370, Ram Mandir) नरेंद्र मोदी (Modi Sarkar) के कार्यकाल में पूरे, तीसरे को लेकर हो रही यह कवायद

Ayodhya Verdict : बीजेपी (BJP) के लिए 5 अगस्‍त और 9 नवंबर की तारीख स्‍वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गई है, क्‍योंकि 5 अगस्‍त को जम्‍मू-कश्‍मीर (Jammu and Kashmir) में अनुच्‍छेद 370 (Article 370) का खात्‍मा हुआ और 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अयोध्‍या में राम मंदिर (Ram Mandir In Ayodhya) के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला दिया है.

Updated on: 09 Nov 2019, 01:30 PM

नई दिल्‍ली:

बीजेपी (BJP) के लिए 5 अगस्‍त (5 August) और 9 नवंबर (9 November) की तारीख स्‍वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गई है, क्‍योंकि 5 अगस्‍त को जम्‍मू-कश्‍मीर (Jammu and Kashmir) में अनुच्‍छेद 370 (Article) का खात्‍मा हुआ और 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अयोध्‍या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला (Historical Verdict) दिया है. पहला फैसला मोदी सरकार (Modi Sarkar) ने खुद लिया तो दूसरे में देश के शीर्ष कोर्ट (Supreme Court) ने ऐतिहासिक निर्णय दिया. अब अयोध्‍या में राम मंदिर (Ram Mandir In Ayodhya) निर्माण का मार्ग प्रशस्‍त हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण की गेंद मोदी सरकार के पाले में ही डाल दी है और तीन माह में इस पर ट्रस्‍ट और योजना बनाने को कहा है. मोदी सरकार का अब एक ही बड़ा वादा बाकी है. वो है समान नागरिक संहिता. इस पर काम चल रहा है और तीन तलाक के खिलाफ बने कानून को इसकी पहली कड़ी मानी जा रही है.

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चर्चा है कि शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार धर्मांतरण विरोधी विधेयक पेश करने वाली है. साथ ही नागरिकता संशोधन विधेयक पर भी मोदी सरकार जी-जान से लगी हुई है. तीन तलाक, धर्मांतरण विरोधी विधेयक और नागरिकता संशोधन विधेयक को समान नागरिक संहिता लागू करने की ही कड़ी के रूप में देखा जा रहा है. साथ ही जनसंख्‍या नियंत्रण को लेकर भी कानून लाने की बात कही जा रही है. माना जा रहा है कि दो बड़े वादों को पूरा करने के बाद मोदी सरकार जी-जान से तीसरे वादे को पूरा करने में लग जाएगी.

स्‍थापना के बाद से ही बीजेपी के कोर इश्‍यु में राम मंदिर, जम्‍मू-कश्‍मीर में अनुच्‍छेद 370 को हटाने और देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के वादे शामिल किए गए थे. 90 के दशक में राम मंदिर को लेकर बीजेपी अपने नेता लालकृष्‍ण आडवाणी काफी आक्रामक रहे और देश के कई हिस्‍सों में राम मंदिर यात्रा निकाली थी. बिहार में लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में लालकृष्‍ण आडवाणी को गिरफ्तार भी किया गया था. हालांकि 1998 में बनी राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में गठबंधन धर्म का पालन करते हुए बीजेपी ने अपने सभी कोर इश्‍यु को त्‍याग दिया था और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाई थी.

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इसके बाद से बीजेपी पर अपने वादों को छोड़ने के आरोप लगाए जाते रहे. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कई बार आरोप लगे कि सत्‍ता के लिए बीजेपी ने अपने कोर इश्‍यु को त्‍याग दिया. वर्षों तक बीजेपी को इसकी सफाई देनी पड़ी. 2004 के चुनाव में भी राजग के घोषणापत्र से राम मंदिर गायब था, जबकि बीजेपी के विजन डॉक्‍युमेंट में इसे शामिल किया गया. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी के 5 साल के शासनकाल में राम मंदिर सहित तीन बड़े मुद्दों को छोड़ने से बीजेपी को चुनाव में खामियाजा भुगतना पड़ा और पार्टी सहित गठबंधन 2004 के चुनाव में हार गया.

2004 में मनमोहन के नेतृत्‍व में कांग्रेस के नेतृत्‍व वाले संप्रग की सरकार बनी और 2009 में पार्टी ने अपने प्रदर्शन को दोहराते हुए सरकार को कायम रखा. हालांकि 2014 के चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी के अभ्‍युदय का बीजेपी को फायदा मिला. बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को हिंदू हृदय सम्राट के रूप में पेश किया, जिसका बीजेपी को जबर्दस्‍त फायदा मिला. बीजेपी को पहली बार पूर्ण बहुमत हासिल हुआ और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने. इस बार भी यही हुआ. पहले 5 साल में बीजेपी ने अपने कोर इश्‍यु को नहीं छुआ तो चुनाव में नरेंद्र मोदी पर भी वहीं आरोप लगे, जो अटल बिहारी वाजपेयी पर थे. हालांकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में बीजेपी एक बार फिर जीत गई और दोबारा बीजेपी की सरकार बनी.

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नरेंद्र मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल अपने वादों को पूरा करने को लेकर कही अधिक आक्रामक साबित हुआ. अमित शाह गृह मंत्री बने और संसद के पहले ही सत्र में नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 का खात्‍मा कर दिया. वो 5 अगस्‍त का ऐतिहासिक दिन था. न सिर्फ अनुच्‍छेद 370 का खात्‍मा हुआ, बल्‍कि जम्‍मू-कश्‍मीर को दो हिस्‍सों में बांटकर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध करने वाले विरोधी दलों के नेताओं को जम्‍मू-कश्‍मीर में हिरासत में ले लिया गया. कई नेता अब भी हिरासत में हैं.

दूसरे बड़े वादे अयोध्‍या में राम मंदिर बनाने को लेकर बीजेपी को बहुत कुछ नहीं करना पड़ा. मामला कोर्ट में था, लिहाजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंतजार करो की नीति पर चलते रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले तमाम टीवी इंटरव्‍यू में पीएम नरेंद्र मोदी ने इस पर कुछ कहने की जहमत नहीं उठाई और मामला कोर्ट में विचाराधीन होने का हवाला दिया. अब 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला दिया और गेंद मोदी सरकार के पाले में ही डाल दिया.