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Ayodhya Exclusive Map: सिर्फ एक नक्शे से सिद्ध हो गया कि राम जन्मस्थान अयोध्या के इस स्थान पर ही था

यह नक्शा भगवान राम के जन्म स्थान को दर्शाता है, जिसमें कौशल्या भवन, सीता रसोई, सीता कूप और सुमित्रा भवन को दर्शाता है

Updated on: 16 Oct 2019, 04:48 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मसले को लेकर बुधवार को सुनवाई के आखिरी दिन एक हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने अखिल भारतीय हिंदू महासभा के वरिष्ठ वकील द्वारा प्रस्तावित नक्शे को फाड़ दिया. मुस्लिम पक्षकार और हिंदू महासभा के वकील इस मामले को लेकर जिरह कर रहे थे. राम जन्म स्थान को लेकर सटीक नक्शा तैयार किया गया है. यह नक्शा लंदन के एक संग्रहालय में रखा गया था. उसके आधार पर राम जन्म स्थान का नक्शा तैयार किया गया है. नक्शे में दिखाया गया है कि विवादित स्थान पर मौजूद तीन गुबंद में से बीच वाला गुबंद भगवान राम का जन्मस्थान है. 

अखिल भारतीय हिंदू महासभा का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने अयोध्या में विवादित स्थल पर भगवान राम के सटीक जन्मस्थान को दर्शाने वाले नक्शे पर धवन ने आपत्ति जताई. इसके बाद धवन ने नक्शों को फाड़ दिया. बहस के दौरान विकास सिंह ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के विभिन्न पहलुओं का उल्लेख किया और कहा कि भगवान राम के जन्मस्थान को लेकर हिंदुओं की ओर से लंबे समय से विश्वास और आस्था है. धवन ने सिंह द्वारा पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल द्वारा लिखित अयोध्या पर एक पुस्तक का उल्लेख करने के प्रयास पर भी आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों को रोक दिया जाना चाहिए.

हिंदू महासभा के वरिष्ठ वकील जब भगवान राम के जन्म स्थान का सटीक नक्शा बहस के दौरान दिखाया तो मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने नक्शा को फाड़ दिया. नक्शे का टाइटल भगवान राम का जन्म स्थान है. यह नक्शा भगवान राम के जन्म स्थान को दर्शाता है, जिसमें कौशल्या भवन, सीता रसोई, सीता कूप और सुमित्रा भवन को दर्शाता है. यह कैकेयी भवन को भी दर्शाता है. हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने जब अदालत में एक किताब को रखने की कोशिश की तो मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने आपत्ति जताई और कहा कि अगर ऐसा हुआ तो वह इनके सवालों का जवाब नहीं देंगे. इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि ठीक है, आप जवाब मत देना. दरअसल, हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने एडिशनल डॉक्यूमेंट के तौर पर पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की किताब बेंच को दी थी.